एक स्तंभ पर घूमता था छतराड़ी का यह मां शिवशक्ति मंदिर, बना हुआ है लकड़ी से

Shivshakti Devi Temple Chhatrari

हिमाचल प्रदेश को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहां मौजूद मंदिर खुद के भीतर कई ऐतिहासिक और रहस्यमयी घटनाएं समेटे हुए हैं। मंदिरों के निर्माण को लेकर जुड़ी कई दंत कथाएं हों या फिर निर्माण में इस्तेमाल की गई बेहतरीन कारीगरी, हर किसी शख्स को अपनी ओर आर्कषित करती है। वैसे तो भगवान शिव के कई अनोखे मंदिर हैं पर हिमाचल प्रदेश के चंबा जिले के छतराड़ी में स्थित मां शिव शक्ति का मंदिर (Shivshakti Devi Temple Chhatrari) ऐसा है, जो कभी एक स्तंभ कर घूमता था। यह मंदिर लगभग 1400 वर्ष पुराना है, यानि 7 वीं शताब्दी का है। इस मंदिर की उत्पत्ति के विषय में कहा जाता है कि यहां पर एक समय में घना जंगल हुआ करता था।

शिव शक्ति मंदिर छतराड़ी का निर्माण 780 ई पूर्व में हुआ था। मंदिर का निर्माण गोगा नामक मिस्त्री ने किया था। कहा जाता है कि गोगा मिस्त्री का एक ही हाथ था और मां के आर्शीवाद से कारीगर ने मंदिर का निर्माण पूरा किया। कथा के अनुसार मंदिर का निर्माण पूरा होने पर कारीगर ने मोक्ष प्राप्ति की इच्छा जाहिर की थी। जैसे ही मंदिर निर्माण पूरा हुआ, मिस्त्री छत से गिर गया और उसकी मौके पर मौत हो गई। कारीगर के प्रतीक के रूप में एक चिड़िया के रूप की आकृति मंदिर में आज भी मौजूद है।

छतराड़ी गांव का शिव शक्ति मंदिर का निर्माण लकड़ी से हुआ है। मंदिर का शायद ही कोई भाग ऐसा हो, जहां पर पत्थर को प्रयोग में लाया गया है। मंदिर में लकड़ी पर की गई नक्काशी अद्भुत कारीगरी का एक बेहतरीन नमूना पेश करती है। इसके अलावा मंदिर के भीतर दीवारों पर बनाई गई पेंटिंग भी मंदिर में आर्कषण का केंद्र है। कहा जाता है कि मां के आदेश पर गुगा कारीगर ने मंदिर का कार्य किया, लेकिन इस दौरान वह इसके द्वार को लेकर असमंजस में था। जिस पर शिव शक्ति मां ने गुगा को मंदिर घुमाने का आदेश दिया और कहा कि जहां यह रुक जाता है, उस तरफ इसका द्वार बना दो। कहा जाता है कि जिस वक्त मंदिर को घुमाया गया, तो यह पश्चिम दिशा में आकर रुका और देवी के आदेश के तहत इसका द्वार भी इसी दिशा में बना दिया गया।

कैसे पहुंचें Shivshakti Devi Temple Chhatrari

चंबा सड़क मार्ग से हिमाचल के प्रमुख शहरों व दिल्ली, धर्मशाला और चंडीगढ़ से जुड़ा हुआ है। राज्य परिवहन निगम की बसें चंबा के लिए नियमित रूप से चलती हैं। इसके अलावा रेल द्धारा चंबा से 140 किलोमीटर दूर पठानकोट नजदीकी रेलवे स्टेशन है। पठानकोट दिल्ली और मुंबई से नियमित ट्रेनों के माध्यम से जुड़ा हुआ है। यहां से बस या टैक्सी के द्वारा चंबा पहुंचा जा सकता है। जहां से मंदिर 45 किलोमीटर की दूरी पर है।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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