पर्यटकों के लिए बिलासपुर-लेह रेल लाइन पर सफर करना अब और भी मजेदार होगा। बिलासपुर-लेह रेल लाइन (bilaspur leh rail line) पर सफर के दौरान पर्यटक 13 वन्यप्राणी सेंक्चुरियों (wildlife sanctuaries) के खूबसूरत नजारों का आनंद ले पाएंगे। पर्यटकों (tourists) को यात्रा के दौरान वन्य प्राणियों को करीब से देखने का मौका भी मिलेगा। बिलासपुर-लेह रेल मार्ग के सफर को रोमांचक बनाने के लिए उत्तर रेलवे और वन विभाग मिलकर काम कर रहे हैं।
उत्तर रेलवे और वन विभाग का प्लान
दरअसल पर्यटन और सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बिलासपुर-लेह रेल लाइन हिमाचल प्रदेश की 10 और लद्दाख की तीन सेंक्चुरियों से होकर गुजरेगी। इनमें से 9 सेंक्चुरी ईको सेंसटिव जोन में शामिल हैं। ऐसे में उत्तर रेलवे और वन विभाग ने मिलकर एक ऐसा प्लान तैयार किया है, जिससे ना केवल इन सेंक्चुरियों को सुरक्षित रखा जा सकेगा बल्कि इन सभी सेंक्चुरी को रेल ट्रैक की जद में भी रखा जाएगा। इससे रेल में सफर के दौरान यात्री वन्य जीवों को करीब से देख सकेंगे।

Source – The Tribune India
इन सेंक्चुरियों से गुजरेगा ट्रैक
बिलासपुर लेह रेल लाइन हिमाचल प्रदेश के बांदली, चंद्रताल, कैश, कनवर, खोखण, किब्बर, कुगती, मनाली, नागरू और सैंज में वन्य प्राणी सेंक्चुरियों से होकर गुजरेगा। इन 10 सेंक्चुरियों में से 7 सेंक्चुरी रेल मार्ग के 7 किलोमीटर के दायरे में आती है। इसलिए इन्हें ईको सेंसटिव जोन माना जाता है। वहीं अगर लद्दाख की बात करें, तो लद्दाख की तीन सेंक्चुरी हेमिश नैशनल पार्क, कराकोरम वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी और चांगथंग कोल्ड डिजेर्ट वाइल्ड लाइफ सेंक्चुरी रेल मार्ग की जद में आएगी। इनमें से दो सेंक्चुरी रेल मार्ग के 2 किलोमीटर के दायरे में आएगी।
रेलमार्ग से बढ़ेगा पर्यटन
बिलासपुर-लेह रेललाइन परियोजना के डायरेक्टर का कहना है कि रेल मार्ग के दायरे में आने वाले सभी 13 सेंक्चुरियों को सुरक्षित रखा जाएगा। इस रेल मार्ग से क्षेत्र में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। हिमाचल प्रदेश की 10 सेंक्चुरियों की क्लीयरेंस राज्य सरकार से मिल जाएगी, लेकिन लद्दाख की सेंक्चुरी की क्लीयरेंस के लिए केंद्र को आवेदन करना पड़ेगा।
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Web Title bilaspur leh rail line to pass through 13 wildlife sanctuaries of himachal and ladakh
(Tourism News from The Himalayan Diary)