यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते हैं। खासकर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार में यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
Religious Places
हमीरपुर के सबसे ऊंचे स्थान पर है अवाह देवी मंदिर, चमत्कारी पिंडी के रूप में स्थापित हैं माता
by THD Teamअवाह देवी मंदिर हमीरपुर जिले के सबसे ऊंचे स्थान पर समुद्र स्तर से 1237 मीटर की ऊंचाई पर है। ऊंचे स्थान पर होने के कारण अवाह देवी मंदिर के आसपास का नजारा भी काफी खूबसूरत है।
ब्यानधुरा मंदिर में संतानहीन दंपतियों की पूरी होती है मनोकामना, मुराद पूरी होने पर अस्त्र शस्त्र किए जाते हैं भेंट
by Team THDब्यानधुरा का शाब्दिक अर्थ होता है बाण की चोटी। जिस चोटी पर यह मंदिर स्थित है, उसका आकार भी धनुष बाण की तरह एक समान है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा ऐडी लोक देवताओं के रूप में पूजे जाते थे। राजा ऐड़ी धनुष विद्या में निपुण थे।
जल देवता के रूप में पूजे जाते हैं मोस्टा देवता, इस मंदिर में विज्ञान के नियम भी हो जाते हैं फेल
by Team THDमोस्टामानू मंदिर का निर्माण 1926 में हुआ था। यहां हर साल ऋषि पंचमी के दिन वार्षिक मेले का आयोजन होता है। जिसमें मोस्टा देवता का डोला ढोल-नगाड़ों और शंख ध्वनि के साथ निकाला जाता है। इस मेले में विशाल पत्थर को उंगली से उठाने की होड़ लगती है।
फटे हुए पत्थर में सांप के रूप में हर तीन साल बाद दर्शन देते हैं मंडी की चौहार घाटी के आराध्य देव पशाकोट
by Team THDमराड़ में एक फटा हुआ पत्थर है। जिसमें सांप दिखाई देते है। जब पशाकोट मराड़ से नदी में ढोल नगाड़े के साथ टिक्कन वापिस आते हैं तो स्थानीय लोगों को ढोल नगाड़े की आवाज तो सुनाई देती है लेकिन कुछ दिखाई नहीं देता। कुछ लोगों को देव पशाकोट सांप के रूप में दर्शन भी देते हैं।
किन्नौर के कोठी गांव में मंदिर में रखे रथ पर विराजमान हैं शक्तिशाली और धन की देवी मां चंडिका देवी
by Team THDयह मंदिर सतलुज घाटीय शैली का मिश्रित रूप है। वहीं तल से शिखर तक लकड़ी पर सुंदर नक्काशी देखने को मिलती है। जिसे सुंदर रंगों से सजाया गया है। इसके साथ ही शिखर पर बड़ा गुंबद बना हुआ है। चंडिका मंदिर के दरवाजे के दोनों ओर लघु कक्षों में प्रतिमाएं हैं।
भगवान शिव की पंचमुखी प्रतिमा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों स्वरूपों के दर्शन होते है। ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव तथा सद्योजात यह भगवान शिव की पांच मूर्तियां है यही उनके पांच मुख कहे जाते हैं।
जब चंद्र देव को श्राप मिला, तो वह क्षय रोग से बुरी तरह से ग्रस्त हो गए। ऐसे में उन्होंने क्षय रोग से मुक्ति के लिए इसी स्थान पर मां भगवती का तप किया था। जिस पर मां भगवती ने प्रसन्न होकर चंद्र देव से कहा कि श्राप से मुक्ति तो नहीं दी जा सकती, लेकिन उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के बाद आपका रंग क्षीण होने के बावजूद कुछ ही दिन में वापस अपने रूप में आ सकेंगे।
रहस्यमयी ढंग से बढ़ रहा है दरमणू महादेव शिवलिंग, एक ही शिवलिंग में होते हैं शिव परिवार के दर्शन
by Team THDबीच रास्ते से हटाकर किनारे पर विधिवत रूप से स्थापित किया गया था। जब इसकी स्थापना की गई थी, तब यह छोटी पिंडी के रूप में था। लेकिन पिछले 40 से 50 सालों में इसकी लंबाई निरंतर रहस्यमई ढंग से बढ़ती ही जा रही है।
लाटू देवता का मंदिर साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन यहां के पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के द्वार खोलते हैं। वहीं श्रद्धालु दूर से ही देवता के दर्शन कर पाते हैं। मंदिर के द्वार खोले जाने पर विष्णु सहस्त्रनाम और भगवती चंडिका पाठ किया जाता है।