बीच रास्ते से हटाकर किनारे पर विधिवत रूप से स्थापित किया गया था। जब इसकी स्थापना की गई थी, तब यह छोटी पिंडी के रूप में था। लेकिन पिछले 40 से 50 सालों में इसकी लंबाई निरंतर रहस्यमई ढंग से बढ़ती ही जा रही है।
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पर्यटकों को अपनी पूरी यात्रा का कार्यक्रम पहले तय करना होगा और वापसी की टिकट भी पहले ही बुक करवानी होगी। कश्मीर में दाखिल होने वाले पर्यटकों की रैपिड टेस्टिंग भी होगी।
कोरोना संक्रमण की वजह से उत्तराखंड स्थित बदरीनाथ धाम में श्रद्धालु भगवान को खुश करने के लिए लगातार ऑनलाइन बदरी तुलसी की माला खरीद कर चढ़ा रहे है। यह माला भगवान को चढ़ाने पर एक तरफ श्रद्धालुओं को सुखद अनुभूति करा रही है तो दूसरी तरफ ग्रामीणों को रोजगार मुहैया हो रहा है।
जम्मू के कठुआ के पास है मिनी गोवा कहा जाने वाला पूरथू, अटल सेतु ब्रिज से होकर पहुंचते हैं पर्यटक
by Team THDइस विशाल झील का निर्माण महाराजा रंजीत सागर बांध के पानी से हुआ है। इस वजह से इस जगह को मिनी गोवा भी कहते हैं। यहां का मौसम पर्यटकों को खासतौर पर अपनी तरफ आकर्षित करता है। यहां बना अटल सेतु ब्रिज पर्यटकों का ध्यान अपनी ओर खींच लेता है, क्योंकि यह पूरी तरह से केबल पर बना हुआ है। जहां जाने पर आप खुद को तीन तरफ से ताजे नीले रंग के पानी से घिरा हुआ पाएंगे। पानी की यह तरंगें आपका मन शांत करने में काफी मदद करती हैं।
धर्मशाला में है 51 शक्तिपीठों में से एक मां कुनाल पत्थरी मंदिर, पत्थर से निकले पानी का बंटता है प्रसाद
by Team THDमां कुनाल पत्थरी मंदिर में मां के कपाल के ऊपर एक पत्थर बना है। जो हमेशा पानी से भरा रहता है। कपाल के ऊपर बने पत्थर में पानी को प्रसाद की तरह बांटा जाता है। अधिकतर श्रद्धालु बीमारी के इलाज के लिए भी इस पानी को ले जाते हैं।
उत्तराखंड के इस गांव में रहते हैं कौरव-पांडवों के वंशज, 7800 फीट की ऊंचाई से दिखाई देते हैं अद्भुत नजारे
by THDशहर की चहल-पहल से दूर यह जगह इतनी मनोरम है कि यहां बस जाने का दिल करेगा। उत्तराखंड में बसे इस गांव का नाम कलाप है, जो गढ़वाल क्षेत्र के
उत्तरकाशी में है। ये गांव रूपिन नदी के किनारे 7800 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां कर्ण का मंदिर भी है और कर्ण महाराज उत्सव भी मनाया जाता है। यह उत्सव 10 साल के अंतराल पर मनाया जाता है।श्रीनगर के ट्यूलिप गार्डन में खिले 13 लाख फूल, अद्भुत नजारों का आनंद लेने के लिए नहीं हैं सैलानी
by THD Teamहर साल लाखों की संख्या में पर्यटक ट्यूलिप गार्डन को देखने के लिए आते हैं। इस वर्ष गार्डन बंद होने से पर्यटन उद्योग को लगभग 100 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
बदरीनाथ में शंख न बजाए जाने का एक आध्यात्मिक कारण भी है। शास्त्रों के अनुसार एक बार मां लक्ष्मी बदरीनाथ में बने तुलसी भवन में ध्यान कर रहीं थी। तभी भगवान विष्णु ने शंखचूर्ण नामक राक्षस का वध किया था। चूंकि हिंदू धर्म में विजय पर शंख नाद करते हैं, लेकिन विष्णु जी लक्ष्मी जी का ध्यान भंग नहीं करना चाहते थे।
जहां हर स्कीम हुई फेल, वहीं लॉकडाउन से हुआ कमाल! हरिद्वार-ऋषिकेश में पीने लायक हुआ गंगा का पानी
by THDलॉकडाउन की वजह से लोगों को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन इसकी वजह से कई अच्छे परिणाम भी देखने को मिले। इसमें देश के सबसे प्रदूषित इलाकों की हवा का साफ होना सबसे प्रमुख चीज़ थी।