चारधाम यात्रा के प्रमुख धाम बाबा केदारनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो गए हैं। अगले छह महीने तक बाबा केदारनाथ के दर्शन व पूजा-अर्चना ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होगी। कपाट बंद होने से पहले केदारनाथ धाम (Kedarnath Dham Closed 2021) में तड़के 4 बजे से विशेष पूजा-अर्चना की गई। केदारपुरी के दिगपाल भगवान भैरवनाथ का आह्वान कर विधि विधान से आरती उतारने के बाद ज्योतिर्लिंग को समाधि के रूप में भस्म के ढका गया। बाबा भोलेनाथ की पंचमुखी भोग मूर्ति का श्रंगार कर चल विग्रह उत्सव डोली में विराजमान कर मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा गया। जिसके बाद केदारनाथ धाम के कपाट सुबह 8 बजे बंद कर दिए गए।
शीतकालीन पंचकेदार गद्दी स्थल पर होंगे दर्शन
केदारनाथ मंदिर की तीन परिक्रमा के बाद भक्तों के जयकारों के बीच बाबा की डोली शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के लिए रवाना हुई। पहले दिन रामपुर में रात्रि प्रवास के बाद अगले दिन डोली गुप्तकाशी में विश्वनाथ मंदिर पहुंचेगी। गुप्तकाशी से 8 नवंबर को प्रस्थान कर पंचमुखी मूर्ति शीतकालीन पंचकेदार गद्दी स्थल ओंकारेश्वर मंदिर में विधि विधान के साथ विराजमान होगी। अगले छह महीने बाबा केदार के यहीं दर्शन होंगे। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने के समय सभी प्रमुख अधिकारी वहां मौजूद रहे।
यमुनोत्री धाम के कपाट भी हुए बंद
केदारनाथ धाम के साथ ही यमुनोत्री धाम के कपाट भी बंद हो गए हैं। खरसाली गांव से बहन यमुना को लेने समेश्वर देवता (शनि देव) डोली शनिवार को यमुनोत्री धाम पहुंची। भैया दूज के दिन यमराज की पूजा भी की जाती है। यमराज को माता यमुना का भाई माना गया है। इस दिन यमुना नदी में स्नान का विशेष महत्व है। इससे शनि की साढ़े सती के साथ यम की यातनाओं से मुक्ति मिलती है। साथ ही भाई बहन का रिश्ता भी मजबूत होता है। इसलिए इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन शनि देव के साथ ही यमराज भी माता से मिलने उनके धाम पहुंचते हैं। उधर मां यमुना के स्वागत में शाम को तांदी नृत्य समेत कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इससे पहले यहां पर भंडारे का भी आयोजन किया गया।
मां गंगा की डोली भी पहुंची शीतकालीन पड़ाव
बाबा केदारनाथ और यमुनाेत्री धाम के कपाट बंद होने से एक दिन पहले शुक्रवार को गंगोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद हो गए थे। शुक्रवार को माता की डोली यात्रा ने मार्कंडेयपुरी में देवी मंदिर में रात्रि विश्राम किया। शनिवार को मां गंगा की डोली अपने मायके मुखवा (मुखीमठ) पहुंच गई। यहीं पर शीतकाल के लिए माता के दर्शन और पूजा-अर्चना होगी।
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