हिमाचल प्रदेश को देवताओं की भूमि कहा जाता है क्यों कि यहां कई ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व वाले धार्मिक स्थल मौजूद है। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के ऐसे ही एक चमत्कारिक धार्मिक स्थल बाबा कमरुनाग के मंदिर के बारे में बताने जा रहे है। स्थानीय लोगों के अनुसार बाबा कमरुनाग को वर्षा का देवता माना जाता है। मंदिर के पास ही एक प्रसिद्द झील भी स्थित है, जिसे कमरुनाग झील के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण ने ही यहां पर बाबा कमरुनाग के सर को पत्थर से बांध कर रख दिया था। वहीँ पांडवों में से एक भीम ने अपनी हथेली को गाड़कर यहां झील का निर्माण किया था।
कमरुनाग झील के बारे में कहा जाता है कि इस झील का अंत छोर पाताल तक जाता है। यहां हर साल 14-15 जून को मेला लगता है। इस दौरान यहां बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं। मान्यता है कि इस दौरान कमरुनाग दर्शन देते हैं। माना जाता है कि कमरुनाग झील में सोने-चांदी के गहने और पैसे चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है। यहां आकर लोग अपने शरीर का कोई भी गहना यहां चढ़ा देते हैं। यह चढ़ावा देवता का माना जाता है, इसलिए चढ़ावे को कभी भी झील से नहीं निकाला जाता है। अब तक झील में अरबों का खजाना इकट्ठा हो चुका है। माना जाता है कि इस खजाने को कोई चुरा नहीं सकता क्यों कि स्वयं नाग देवता इसकी रक्षा करते हैं।
पौराणिक कथा
बाबा कमरुनाग मंदिर का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। इन्हें बबरुभान जी के नाम से भी जाना जाता था। बबरुभान जी धरती के सबसे शक्तिशाली योद्धा थे। मान्यता है कि जब पांडवों और कौरवों के मध्य युद्ध हो रहा था, तब बबरुभान जी ने कहा था कि ये इस युद्ध को देखेंगे और जो सेना हारेगी मैं उसका साथ दूंगा। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने सोचा कि अगर ऐसा हुआ कौरव जीत जाएंगे। इसके बाद श्रीकृष्ण ने एक शर्त लगाकर इन्हें हरा दिया और बदले में बबरुभान जी का सिर मांग लिया। इस दौरान कमरुनाग ने एक ख्वाइश जाहिर की कि वे महाभारत का युद्ध देखना चाहते है। इस पर श्रीकृष्ण ने इनके कटे हुए सिर को हिमालय के ऊंचे शिखर पर रख दिया, लेकिन बाबा का सिर जिस तरफ घूमता वह सेना जीत की और बढ़ने लगती। इस समस्या को देखते हुए श्रीकृष्ण ने सिर को पत्थर बांधकर बाबा को पांडवों की ओर घुमा दिया। बाबा को पानी की दिक्कत न हो इसके लिए भीम ने अपनी हथेली को गाड़कर झील बना दी।
कैसे पहुंचें बाबा कमरुनाग के मंदिर
मंड़ी जिले से लगभग 55 किलोमीटर दूर रोहांडा है, जहां से लगभग 8 किलोमीटर पैदल यात्रा करके बाबा कमरुनाग के मंदिर तक पहुंचा जाता है। रोहांडा से नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन लगभग 175 किलोमीटर दूर कालका में स्थित है। आप कालका से छोटी लाइन की मदद से शिमला तक आ सकते हैं। रोहांडा से निकटतम हवाई अड्डा लगभग 145 किलोमीटर दूर शिमला में स्थित है। शिमला से बस द्वारा आसानी से रोहांडा तक पहुंचा जा सकता हैं।