‘गढ़वाल के द्धार’ नाम से प्रसिद्ध उत्तराखंड (uttarakhand) का कोटद्धार (kotdwara) की प्रमुख एतिहासिक धरोहर कण्वाश्रम (kanvashram) का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है। कोटद्वार से 14 किलोमीटर की दूरी पर हेमकूट और मणिकूट पर्वतों की गोद में स्थित है। हजारों वर्ष पूर्व पौराणिक युग में जिस मालिनी नदी का उल्लेख मिलता है, वह आज भी यहां उसी नाम से पुकारी जाती है। कण्वाश्रम “चक्रवर्ती सम्राट भरत” को समर्पित है।
शिवालिक की तलहटी में मालिनी के दोनों तटों पर स्थित छोटे-छोटे आश्रमों का कण्वाश्रम प्रख्यात विद्यापीठ था। यहां उच्च शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा थी। इसमें वे शिक्षार्थी पढ़ सकते थे, जो सामान्य विद्यापीठ का पाठ्यक्रम पूरा करके और अधिक अध्ययन करना चाहते थे। कण्वाश्रम में चारों वेदों, व्याकरण, छन्द, निरुक्त, ज्योतिष, आयुर्वेद, शिक्षा तथा कर्मकाण्ड के अध्ययन-अध्यापन का प्रबन्ध था। आश्रमवर्ती योगी एकान्त स्थानों में कुटी बनाकर या गुफाओं के अंदर रहते थे।

Source-uttarakhandtemples.in
कण्व ऋषि के बारे में
यह कण्व ऋषि का वही आश्रम है, जहां हस्तिनापुर के राजा दुष्यन्त व शकुन्तला के प्रणय के पश्चात “भरत” का जन्म हुआ था। कालांतर में शकुन्तला पुत्र भरत के नाम पर हमारे देश का नाम भारत पड़ा। शकुन्तला ऋषि विश्वामित्र व अप्सरा मेनका की पुत्री थी। कण्वाश्रम के कुछ ऊपर कांण्डई गांव के पास आज भी एक प्राचीन गुफा है, जिसमें 3०-4० व्यक्ति एक साथ निवास कर सकते हैं। ईड़ा गांव के पास शून्य शिखर पर आज भी संन्यासियों का आश्रम है। चौकीघाट से कुछ दूरी पर किमसेरा (कण्वसेरा) की चोटी पर भग्नावशेष किसी आश्रम या गढ़ का संकेत देते हैं ।
मेले का आयोजन
हर वर्ष ‘बसंत पंचमी’ के अवसर पर कण्वाश्रम में तीन दिन तक मेला चलता है। महाकवि कालिदास द्वारा रचित ‘अभिज्ञान शाकुन्तलम’ में कण्वाश्रम का जिस तरह से जिक्र मिलता है, वे स्थल आज भी वैसे ही देखे जा सकते हैं।
मंदिर कैसे पहुंचें
सड़क मार्ग- दिल्ली से कोटद्धार की दूरी लगभग 217.1 किलोमीटर है, यहां पहुंचने में 5 से 6 घंटे का समय लगता है। बस स्टैंड से कण्वाश्रम 14 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां से बस, टैक्सी तथा अन्य स्थानीय यातायात की सुविधा हमेशा उपलब्ध रहती है।
रेल मार्ग- कोटद्धार में रेलवे स्टेशन की सुविधा है। यहां से हर समय-समय पर आया-जाया जा सकता है।
हवाई मार्ग- कोटद्धार का अपना कोई हवाई अड्डा है। नजदीकी वाई अड्डा देहरादून में है जो 120 किलोमीटर की दूरी पर है।
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