धरती की जन्नत कहा जाने वाला राज्य जम्मू-कश्मीर पर्यटकों की सबसे पसंदीदा जगहों में शामिल है। दुनिया भर से सैलानी यहां फुर्सत के क्षण बिताने के लिए आते हैं। गर्मियों की छुट्टी का बहाना हो या सर्दी के सीजन में बर्फबारी, ज्यादातर विदेशियों के साथ-साथ भारतीय सैलानी भी खूबसूरत नजारों के दीदार के लिए कश्मीर का ही रुख करते हैं, लेकिन यहां पहुंचने के लिए उनके पास सड़क और हवाई मार्ग ही विकल्प हैं। हालांकि सर्दी और बरसात में ये दोनों ही साधन नाकाम साबित होते हैं तथा रेल लाइन (Kashmir Railway) जम्मू-उधमपुर से आगे नहीं जाती। अधिक बारिश या सर्दियों में घनी बर्फबारी के चलते यहां घूमने आने की इच्छा बस मन में मचलकर ही रह जाती है। बरसात में प्रमुख पर्यटन स्थलों को जोड़ने वाले हाईवे भूस्खलन के चलते जाम हो जाते हैं तो सर्दियों में बर्फ के कारण इन रास्तों से गुजरना नामुमकिन हो जाता है।
यूं तो जम्मू से श्रीनगर तक रेल लाइन बिछाने की कवायद दशकों से चल रही है लेकिन 2002 में तत्कालीन अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने जम्मू-श्रीनगर रेललिंक को राष्ट्रीय परियाेजना घोषित किया था। इसके बाद इस प्रोजेक्ट पर गंभीरता से काम शुरू हुआ लेकिन कई डेडलाइन बीत जाने के बावजूद अभी तक काम पूरा नहीं हो पाया है। जम्मू-उधमपुर के बीच 53 किलोमीटर, उधमपुर-कटरा 25 किलोमीटर और बनिहाल-बारामूला की 119 किलोमीटर की जम्मू-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन चालू हो चुकी है। कटरा-बनिहाल रेललाइन को अभी जम्मू-बारामूला लाइन से नहीं जोड़ा जा सका है।
दिल्ली से श्रीनगर (Kashmir Railway) को जोड़ने के लिए राष्ट्रीय परियोजना के तहत रेललाइन बिछाने का काम तेजी से चल रहा है। कुल 10,000 करोड़ की लागत वाली यह परियोजना केंद्र सरकार की प्राथमिकता में है। इसके पूरा होने से दिल्ली से श्रीनगर कुल 14 घंटों में पहुंचा जा सकेगा। खास यह कि फिर किसी भी मौसम यानी बर्फ पड़े या घनघोर बारिश हो, भूस्खलन हो या बाढ़ आए, दिल्ली से श्रीनगर या कश्मीर के दूसरे हिस्सों तक रेल द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकेगा। जम्मू-उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लाइन का लगभग 326 किलोमीटर हिस्सा तैयार हो चुका है। अब सिर्फ जम्मू के पास कटरा और घाटी में बनिहाल के बीच 111 किलोमीटर भाग बनना बाकी है। बनिहाल अभी बारामूला से वाया श्रीनगर जुड़ा हुआ है, जबकि जम्मू का भी कटरा से वाया उधमपुर तक रेल से संपर्क हो चुका है।
कटरा-बनिहाल प्रोजेक्ट को देश के इंजीनियरिंग इतिहास का सबसे कठिन कार्य माना जाता है। इस लाइन पर 27 ब्रिज हैं जिनमें चिनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊंचा रेल ब्रिज भी शामिल है। इस लाइन पर रेल 37 टनल से होकर गुजरेगी। इनमें से एक टनल 12 किलोमीटर लंबी है जो एशिया की सबसे लंबी रेल सुरंग बताई जाती है। यहां रेल नेटवर्क बिछाना इसलिए भी मुश्किलों भरा है, क्योंकि हर 15 किलोमीटर पर मिट्टी बदल जाती है। कुल 111 किलोमीटर बनिहाल-कटरा रेल रूट का 95 किलोमीटर हिस्सा टनल और लगभग 10 किलोमीटर हिस्सा ब्रिज पर बना है। यह रेल लाइन 2023 तक पूरी होने की उम्मीद है। इसके बाद कश्मीर आना-जाना बहुत आसान हो जाएगा और पर्यटन को और तेजी से बढ़ावा मिलेगा।
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Web Title kashmir-to-connect-national-railway-network-in-2023
(Tourism News from The Himalayan Diary)
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