एक आम धारणा है कि कैलाश मानसरोवर की यात्रा सबसे दुर्गम धार्मिक यात्रा है, लेकिन हिमाचल प्रदेश में श्रीखंड महादेव की यात्रा को कैलाश मानसरोवर की यात्रा से भी दुर्गम माना जाता है। इस यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को 18,570 फीट का पथरीला रास्ता तय करना पड़ता है, जिस वजह से इस यात्रा को सबसे खतरनाक माना जाता है। बीते सोमवार को प्रदेश में कुल्लू के आनी से इस दुर्गम यात्रा की शुरूआत हो गई है। आमतौर पर 15 दिनों तक चलने वाली श्रीखंड महादेव यात्रा इस साल 15 जुलाई से 25 जुलाई तक आयोजित (shrikhand mahadev yatra started) की जा रही है। मौसम ठीक नहीं होने के बाद भी श्रीखंड महादेव की यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में उत्साह बना हुआ है।
883 यात्रियों का पंजीकरण
श्रीखंड महादेव की यात्रा पर जाने से पहले श्रद्धालुओं को निरमंड तहसील कार्यालय में पंजीकरण करवाना होता है। मिली जानकारी के अनुसार इस यात्रा को लेकर 883 यात्रियों का पंजीकरण हो चुका है। इसमें 845 पुरुष और 38 महिलाएं शामिल हैं। दुर्गम रास्ते से गुजरने वाली इस यात्रा के लिए पंजीकरण करवाने से पहले यात्रियों को मेडिकल चेकअप भी करवाना होता है। सोमवार को यात्रा का शुभारंभ स्थानीय विधायक ने पूजा-अर्चना के साथ किया। बेस कैम्प सिंहगाड से पहले दिन श्रद्धालुओं को चिकित्सीय जांच के बाद रवाना किया गया। श्रीखंड महादेव की यात्रा के लिए थाचडू, भीम डवारी और पार्वती बाग पर प्रशासनिक चौकियां स्थापित की गई हैं। यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं के लिए 24 घंटे मेडिकल टीम, सुरक्षा कर्मी और रेस्क्यू टीम तैनात रहेगी।
दुर्गम रास्ता
श्रीखंड महादेव की यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को 32 किलोमीटर की सीधी चढ़ाई चढ़नी होती है। इसके अलावा बर्फीला, रास्ता, ख़राब मौसम, ऑक्सीजन की कमी यात्रा के रास्ते को खतरनाक बना देती है। श्रीखंड में शिवलिंग हैं। श्रीखंड से पहले पार्वती, गणेश व कार्तिक स्वामी की प्रतिमाएं भी हैं। श्रीखंड महादेव जाते समय निरमंड में सात मंदिर, जांव में माता पार्वती सहित नौ देवियां, परशुराम मंदिर, दक्षिणेश्वर महादेव, हनुमान मंदिर अरसु, सिंहगाड, जोतकाली, ढंकद्वार, बकासुर बध, ढंकद्वार व कुंषा आदि जगहों के खूबसूरत नजारे देखने को मिलते हैं।
shrikhand mahadev yatra started
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