इसके तहत जिलासू में अलकनंदा नदी पर एलिवेटेड ग्लास प्लेटफॉर्म विकसित किया जाएगा, जबकि बदरीनाथ हाईवे पर स्थित लंगासू में रीवर व्यू विकसित किया जाएगा।
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चतुर्थ केदार के कपाट शीतकाल के लिए बंद, 6 महीने गोपीनाथ मंदिर में विराजमान होंगे भगवान रुद्रनाथ
by Team THDइस बार 18 माई को मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले गए थे। इस बार कोरोना संकट के चलते पंच केदार में कम ही संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए गए। हालांकि रुद्रनाथ धाम में लगातार श्रद्धालु बाबा के दर्शन के लिए पहुंचते रहे।
श्री हेमकुंड साहिब में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए दूर हुई नेटवर्क की दिक्कत, 4जी सर्विस हुई शुरू
by Team THDरिलायंस जियो ने श्री हेमकुंड साहिब में अपनी 4जी सेवाएं शुरू कर दी हैं। यह देश का पहला ऐसा टेलीकाॅम ऑपरेटर बन गया है, जो श्री हेमकुंड साहिब में अपनी सेवाएं देगा।
दुर्मी ताल का बदला हुआ स्वरूप देखेंगे टूरिस्ट, सौंदर्यीकरण के लिए एनीमेशन की नई फोटो जारी
by Team THDनिजमुला घाटी के बीच में स्थित दुर्मी ताल का पर्यटन महत्व के साथ धार्मिक महत्व भी है। ऐसी मान्यता है कि जब मां पार्वती ने भगवान शिव से इस जगह पर कुछ देर आराम करने की इच्छा जताई थी तो भगवान ने मां पार्वती के कहने पर कुछ समय यहां बिताया था।
सबसे पहले इस आकृति को 2019 में बदरीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व अध्यक्ष ने देखा था। उसी समय से ग्रामीण चट्टान के आस पास के क्षेत्र को हनुमान चट्टी की तरह विकसित करने में जुट गए।
श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी, फूलों की घाटी के बाद अब जल्द हेमकुंड साहिब के कपाट खोलने की तैयारी
by THD Teamश्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहां पर सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने साधना की थी। इस जगह का उल्लेख दसम ग्रंथ में भी है, जो स्वयं गुरु जी द्वारा लिखी गई है। इस जगह का इतिहास रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान लक्ष्मण ने इसी जगह पर ध्यान लगाया था।
उत्तराखंड में 15 अगस्त से शुरू होगा फूलों की घाटी का दीदार, 350 तरह के फूल कर रहे हैं आपका इंतजार
by Team THDधार्मिक मान्यताओं की बात करें तो यही वह स्थान है, जहां से लक्ष्मण को बचाने के लिए हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आये थे। रामायण से लेकर महाभारत में यहां पाई जाने वाली जड़ी बूटियों का वर्णन देखने को मिलता है।
लाटू देवता का मंदिर साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन यहां के पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के द्वार खोलते हैं। वहीं श्रद्धालु दूर से ही देवता के दर्शन कर पाते हैं। मंदिर के द्वार खोले जाने पर विष्णु सहस्त्रनाम और भगवती चंडिका पाठ किया जाता है।
जब माता अनुसूया के सामने त्रिदेव को बनना पड़ा था शिशु, इस मंदिर में जाने पर मिलता है संतान का वरदान
by Team THDतीनों भगवान साधु वेश में देवी के पास पहुंचकर भोजन मांगने लगते हैं। जब देवी अनुसुया भोजन लेकर आती हैं, तो त्रिदेव शर्त रखते हैं कि देवी को निर्वस्त्र होकर भोजन कराना होगा तभी वह उसे ग्रहण करेंगे। इस परिस्थिति में देवी आंखें मूंदकर अपने पति को याद करती हैं। दिव्य दृष्टि से वह जान लेती हैं कि साधुओं के वेश में त्रिदेव उनके सामने हैं।
इस बुग्याल के बीचों-बीच फैली झील यहां के सौंदर्य में चार चांद लगी देती है। जो लोग झील किनारे बैठकर प्रकृति की खूबसूरती का आनंद लेना चाहते हैं, वह यहां आ सकते हैं। बेदिनी बुग्याल आते समय रास्ते में ब्रह्मताल और भैकनताल जैसी झीलें भी आती हैं, जहां आप पानी में गोता लगाने के साथ पत्थरों पर बैठकर पानी का आनंद ले सकते हैं।
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