यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते हैं। मंदिर में सभी त्यौहार मनाये जाते हैं। खासकर दुर्गा पूजा व नवरात्र के त्यौहार में यहां विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है।
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रानीबाग पुल को टू लेन करने की मंजूरी इसी साल फरवरी के महीने में मिली थी। टू-लेन पुल का निर्माण करने के लिए केंद्रीय सड़क निधी योजना से 7.7 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था।
इस मामले की जानकारी देते हुए परियोजना के निदेशक ने बताया है कि भानुपल्ली-बैरी के बाद लेह से उपशी के बीच रेल चलाई जाएगी। इसके बाद प्रोजेक्ट के बाकी हिस्सों का काम शुरू होगा।
क्याकिंग एंड केनोईंग एसोसिएशन के अनुसार नयार नदी क्याकिंग, केनोईंग समेत अन्य वाटर स्पोर्ट्स के लिए उपयुक्त है। इससे क्षेत्र में पर्यटन की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय लोगों को रोजगार मिलेगा। खैरासैंण गांव में ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का बचपन बीता है।
कोरोना संकट के कारण हिमाचल प्रदेश में तीन महीने से भी अधिक समय तक पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां बंद थीं। बीते दिनों हिमाचल प्रदेश सरकार ने कुछ शर्तों के साथ प्रदेश में पर्यटन गतिविधियां शुरू करने की मंजूरी दी थी। इसके तहत पर्यटकों को हिमाचल प्रदेश आने से पहले पंजीकरण करवाना होगा।
श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारा सिखों के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। यहां पर सिखों के दसवें और अंतिम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह ने साधना की थी। इस जगह का उल्लेख दसम ग्रंथ में भी है, जो स्वयं गुरु जी द्वारा लिखी गई है। इस जगह का इतिहास रामायण काल से भी जुड़ा हुआ है। मान्यता है कि भगवान लक्ष्मण ने इसी जगह पर ध्यान लगाया था।
सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण अति 8.8 किलोमीटर लंबी अटल रोहतांग टनल का काम लगभग पूरा हो गया है। टनल के दोनों तरफ भव्य द्वार का निर्माण युद्धस्तर पर किया जा रहा है।
अद्भुत खूबसूरती और खजियार की तरह दिखने के कारण देवीदढ़ को मिनी खजियार भी कहा जाता है। यहां जंगल के बीचो बीच एक बहुत पुराना पुल है, जो दिखने में बहुत ही ज्यादा आकर्षक है।देवीगढ़ ट्रेक के रास्ते में जंजैहली, शिकारी देवी, कमरुनाग जैसे लोकप्रिय जगहें भी हैं। देवीदढ़ की जलवायु पूरे साल बहुत ठंडी रहती है। इस घाटी में भारी बर्फबारी होती है। यही कारण है कि देवीदढ़ आने का सबसे सही समय गर्मियों का मौसम होता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश का पर्यटन उद्योग कनेक्टिविटी के साथ जुड़ा है। ऐसे में सरकार आने वाले समय में नए हेलिपोर्ट बनाने पर जोर दे रही है।
पवित्र मणिमहेश यात्रा को भले ही रद्द कर दिया गया है, लेकिन तीर्थयात्रा से संबंधित सभी धार्मिक परंपराओं और रीति-रिवाजों को सीमित प्रतीकात्मक रूप में एहतियात के साथ पूरा किया जाएगा।