लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड स्थित चारों धाम के कपाट खुल चुके हैं। उत्तराखंड (uttarakhand) में ही रुद्रप्रयाग जिले में स्थित चतुर्थ केदार भगवान रुद्रनाथ धाम (rudranath temple) के कपाट विधि-विधान के साथ खोल दिए गए (doors opened) हैं। इससे पहले 16 मई को रुद्रनाथ की डोली ग्वाड़ और सगर गांव होते हुए रुद्रनाथ धाम के लिए रवाना हुई थी। जिसके बाद देव डोली रात्रि प्रवास के लिए पनार बुग्याल पहुंची। हिमालय रवाना होने से पूर्व भक्तगणों ने गोपीनाथ मंदिरकोठा प्रांगण में उत्सव डोली की पूजा अर्चना की और विश्व कल्याण के लिए मन्नत मांगी गई। सोमवार सुबह 5 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ रुद्रनाथ जी के कपाट खोल दिए गए हैं।
रुद्रनाथ में भगवान शिव के मुखारविंद के दर्शन होते हैं, जो अपने आप में इस मंदिर की विशेष महत्ता है। हर साल हजारों की संख्या देश-विदेश से श्रद्धालु 22 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई चढ़ने के बाद यहां पहुंचते हैं। इस बार कोरोना महामारी के चलते श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए अनुमति नहीं दी गई है। लॉकडाउन के कारण मुख्य पुजारी सहित 20 लोगों को ही रुद्रनाथ मंदिर तक जाने की अनुमति प्रशासन ने दी थी। इस वजह से भक्तों ने अपने-अपने घरों की छतों से ही भगवान रुद्रनाथ की डोली पर पुष्पवर्षा की।
रुद्रनाथ मंदिर के बारे में
चतुर्थ केदार के रूप में भगवान रुद्रनाथ विख्यात हैं। यह मंदिर समुद्र तल से 2286 मीटर की ऊंचाई पर एक गुफा में स्थित है। भारत में यह अकेला मदिर है, जहां भगवान शिव के चेहरे की पूजा होती है। यहां पूजे जाने वाले शिव जी के मुख को ‘नीलकंठ महादेव’ कहते हैं। रुद्रनाथ के लिए गोपेश्वर से चार किलोमीटर के करीब अंतिम स्टेशन सगर गांव है। यहां से पैदल मंदिर तक जाना होता है। पंचकेदारों में चौथे केदार रुद्रनाथ में विशाल प्राकृतिक गुफा में बने मंदिर में शिव की दुर्लभ पाषाण मूर्ति है। यहां शिवजी गर्दन टेढी किए हुए स्थापित हैं। मंदिर के एक ओर पांच पांडव, कुंती, द्रौपदी के साथ ही छोटे-छोटे मंदिर मौजूद हैं। सर्दियों में छह महीने के लिए रुद्रनाथ की गद्दी गोपेश्वर के गोपीनाथ मंदिर में भगवार रुद्रनाथ की पूजा होती है।
15 मई को खुले बदरीनाथ धाम के कपाट
इससे पहले बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई को खोले गए थे। कपाट खुलने के अवसर पर मंदिर में मुख्य पुजारी और धर्माधिकारी समेत कुल 28 लोग ही मौजूद रहे। मंदिर में पहली पूजा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम से हुई, जिसमें यजमान के रूप में पं. ऋषि प्रसाद सती शामिल हुए। उन्होंने प्रधानमंत्री के नाम से 4300 रुपये की रसीद कटवाई।
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Web Title: uttarakhand rudranath temple doors opened