हर साल सर्दियों का मौसम शुरू होते ही पौंग झील पर लाखों की संख्या में विदेशी परिंदे पहुंचते हैं। साइबेरिया सहित अन्य देशों में ठंड के कारण जब तालाब का पानी जम जाता है, तो पक्षी सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा कर भारत आते हैं।
Kangra
शिमला-मटौर फोरलेन बनने से पर्यटकों और स्थानीय लोगों को फायदा होगा। लोगों को सर्पीली सड़कों से छुटकारा मिलेगा। साथ ही शिमला से कांगड़ा जिला के मटौर की दूरी 43 किलोमीटर घट जाएगी।
विमानन कंपनी स्पाइस जेट ने अक्तूबर में दो नई उड़ानें शुरू करने का शेड्यूल भी जारी कर दिया है। स्पाइस जेट ने इसकी जानकारी अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दी है।
जलशक्ति विभाग के अधिशासी अभियंता के अनुसार डल झील के जीर्णोद्धार के लिए विभाग प्रारूप तैयार करेगा। इसमें विशेषज्ञों की भी मदद ली जाएगी। सौंदर्यीकरण के लिए स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत चार करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।
बगलामुखी मंदिर ट्रस्ट के अनुसार इस बारे में बैठक करके निर्णय लेंगे। मंदिर खोले जाने को लेकर जल्दबाजी बरतना ठीक नहीं है। हम जल्द ही मंदिर खोले जाने की तारीख की घोषणा करेंगे। यहां आने वाले भक्तों का मानना है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने एक रात में इस मंदिर का निर्माण किया था।
हिमानी चामुंडा मंदिर के कपाट मार्च से बंद पड़े हैं। अब एक बार फिर से प्रशासन ने मंदिर के पुनर्निमाण को मंजूरी दे दी है। मंदिर में कुछ ही दिनों में निर्माण सामग्री का सारा सामान पहुंचा दिया जाएगा। इस मंदिर में काष्ठकुणी शैली के साथ ही कांगड़ा शैली का भी टच दिया जाएगा।
रहस्यमयी ढंग से बढ़ रहा है दरमणू महादेव शिवलिंग, एक ही शिवलिंग में होते हैं शिव परिवार के दर्शन
by adminबीच रास्ते से हटाकर किनारे पर विधिवत रूप से स्थापित किया गया था। जब इसकी स्थापना की गई थी, तब यह छोटी पिंडी के रूप में था। लेकिन पिछले 40 से 50 सालों में इसकी लंबाई निरंतर रहस्यमई ढंग से बढ़ती ही जा रही है।
इस मंदिर के निर्माण में आधुनिक वास्तुकला और प्राचीन दक्षिण भारत की वास्तुकला का मिश्रण देखने को मिलता है। इस मंदिर का वास्तुशिल्प कौशल देखने लायक है। इस मंदिर से बर्फ से ढके हिमालय पर्वत देखने पर अनोखी अनुभूति होती है।
गौरतलब है कि पहले प्री-वर्ल्ड कप पैराग्लाइडिंग प्रतियोगिता का आयोजन 30 मार्च से होने वाला था, लेकिन कोरोना वायरस के कारण इसे अक्टूबर माह के लिए बढ़ा दिया गया है।
बाहरी राज्यों के लिए जो एचआरटीसी की बसे जाती है उन सभी बसों में फास्ट टैग लगा दिए गए। इससे बस के कंडक्टर को टोल बैरियर पर पास नहीं लेना पड़ेगा, जिससे समय की बचत भी होगी।