उत्तराखंड (uttarakhand) में चंपावत जिले (champawat) की सीमा में रोड से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर पहाड़ी की चोटी पर ब्यानधुरा मंदिर (byandhura temple) है। इस मंदिर में विराजमान देवता को ऐड़ी देवता कहा जाता है। मंदिर को भगवान शिव के 108 ज्योर्तिलिंगों में से एक की मान्यता प्राप्त है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां आकर संतानहीन दंपतियों को संतान प्राप्त होती है। वहीं जब दंपतियों की मनोकामना पूरी हो जाती है, तो धनुष बाण या अस्त्र शस्त्र को भेंट चढ़ाने की परंपरा है। यह भी कहा जाता है कि मंदिर में अखंड ज्योति जलाकर जागरण करने से भी मनचाहा वरदान मिलता है।
अर्जुन अवतार के रूप माने जाते हैं ऐड़ी देवता
ब्यानधुरा का शाब्दिक अर्थ होता है बाण की चोटी। जिस चोटी पर यह मंदिर स्थित है, उसका आकार भी धनुष बाण के समान है। ऐसा कहा जाता है कि प्राचीन काल में राजा ऐड़ी लोक देवताओं के रूप में पूजे जाते थे। राजा ऐड़ी धनुष विद्या में निपुण थे और उनका एक रूप महाभारत के अर्जुन के अवतार के रूप में भी माना जाता है। इस मंदिर को देवताओं की विधानसभा भी माना जाता है। मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां ऐड़ी देवता ने तपस्या की थी और तप के बल से राजा ने देवत्व को प्राप्त किया था। वहीं पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इस क्षेत्र को अपना निवास स्थल बनाया था। यहां अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को चोटी के पत्थर के नीचे छिपाया था, जो आज भी मौजूद है।

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मुराद पूरी होने पर चढ़ाने पड़ते हैं धनुष बाण
अधिकांश मंदिरों में मनोकामना के पूरी होने पर छत्र, ध्वज, पताका, घंटी व प्रसाद आदि चढ़ाया जाता है। लेकिन यह एक ऐसा मंदिर है, जहां मनोकामना पूरी होने पर धनुष बाण व अस्त्र शस्त्र अर्पित किए जाते हैं। इस मंदिर में ऐड़ी देवता को लोहे के धनुष बाण चढ़ाने के साथ ही अन्य देवताओं को भी अस्त्र शस्त्र चढ़ाने की परंपरा है। मंदिर समिति के अनुसार इस मंदिर के आगे गुरू गोरखनाथ की धूनी है, जो लगातार जलती रहती है। इसके साथ ही मंदिर में भी गुरू गोरखनाथ की एक अन्य धूनी भी है। इस मंदिर में मकर सक्रांति के अलावा चैत्र नवरात्र और माघी पूर्णमासी को भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
कैसे पहुंचें ऐड़ी देवता मंदिर
उत्तराखंड के चंपावत जिले में सीमा पर ही ब्यानधुरा क्षेत्र में यह मंदिर पड़ता है। यहां सड़क मार्ग से पहुंचने के लिए उत्तराखंड बस परिवहन निगम की मदद से टनकपुर तक बस से पहुंचने के बाद स्थानीय वाहनों की मदद से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है। हालांकि मंदिर तक सीधे पहुंचने के लिए कोई भी सड़क नहीं है, यहां तक पैदल ही पहुंचना होगा। रेल मार्ग से पहुंचने के लिए पहले टनकपुर रेलवे स्टेशन तक पहुंचना होगा। वहीं हवाई मार्ग से यहां तक पहुंचने के लिए पंतनगर एयरपोर्ट तक पहुंचना होगा।
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Web Title byandhura temple is located on border of champawat district in uttarakhand
(Religious Places from The Himalayan Diary)