हिमाचल प्रदेश पर्यटन के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। इस वजह से यहां देश ही नहीं दुनिया के कोने-कोने से पर्यटक घूमने के लिए आते हैं। पर्यटन के साथ-साथ हिमाचल भक्ति-भाव के लिए भी जाना जाता है। हिमाचल के कांगडा में कई मंदिर हैं, इन्हीं में से एक अच्छरा माता मंदिर (Achhara Mata Mandir) भक्तों की आस्था का खास केंद्र है। यह ब्रजेश्वरी मंदिर से 4 किलोमीटर की दूरी पर है। यह स्थान पहाड़ी की एक गुफा में बना है, जहां जल की धाराएं बहती हैं।
अच्छरा मंदिर को परियों का स्थान भी कहा जाता है। इस मंदिर के पास ही एक वाटरफॉल है, जिसमें लगभग 25 फीट की ऊंचाई से पानी गिरता है। इस वाटरफॉल के बारे में माना जाता है कि इस अच्छर कुंड में ब्रह्ममुहूर्त में परियां स्नान करती हैं। गुप्त गंगा से होकर निकलने वाला पानी अच्छर कुंड में झरने के रूप में गिरता है। लोग इसी झरने में स्नान करते हैं। इस झरने के बारे में मान्यता है कि जिन लोगों को चरम रोग होता है और भूत प्रेत से ग्रस्त होते हैं, उनमें ज्यादातर लोग यहां पर स्नान कर लाभ पाते हैं।
ऐसा कहा जाता है राजा पुरु को स्वर्ग तो प्राप्त हुआ था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। भगवान इंद्र ने उन्हें अक्षरा कुंड में स्नान करने को कहा था और धरती पर भेज दिया था। राजा पुरु ने अक्षरा कुंड में स्नान किया था और जिसके बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई। इसी के चलते जिन शादीशुदा जोड़ों को संतान की प्राप्ति नही होती है, वे संतान की चाह में इस झरने पर आकर स्नान करते हैं। जिनकी कामना पूरी हो जाती है, वे लोग यहां पर आकर अपनी आस्था के अनुसार प्रसाद चढ़ाते हैं।
इस मंदिर को परियों और नरसिंह का ऊर्जा केंद्र माना जाता है। कई किसान नई फसल यहा चढ़ाते हैं। यहां पर भैरों बाबा व हनुमान भगवा के मंदिर भी है। इस दुर्लभ झरने की शक्तियां देख कर मुगल शासक अकबर ने भी यहां स्नान किया था। जिसके बाद यहां पर कई धर्म के लोग आते हैं। अमावस्या, ग्रहण व पूर्णिमा, संक्रांति के दिनों में यहां किए गए स्नान से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। यहा पर गुप्त गंगा से लेकर मंदिर तक करीब 200 सीढि़या हैं, जिन्हें एक भक्त ने अपनी मनोकामना पूरी होने पर बनाया था।
कैसे पहुंचें Achhara Mata Mandir
सड़क मार्ग – पठानकोट से कांगड़ा की दूरी लगभग 86 किलोमीटर हैं, यहां तक तकरीबन तीन घंटे का रास्ता है। इसके अलाव आप पंजाब में होशियारपुर से कांगड़ा बस से भी जा सकते हैं। कांगड़ा पहुंचने पर किसी भी लोकल साधन से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
रेल मार्ग – मंदिर तक पहुंचने के लिए पठानकोट से जोगिंदरनगर जाने वाली छोटी रेल लाइन से सफर किया जा सकता है। कांगड़ा रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी दो किलोमीटर है। मंदिर पुराने कांगड़ा शहर के मध्य में स्थित है।
वायु मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा गग्गल में है, धर्मशाला से 13 किलोमीटर और कांगड़ा से मंदिर की 8 किलोमीटर की दूरी है। एयर इंडिया और स्पाइसजेट उड़ानें उपलब्ध हैं।
Kangra के आसपास के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:
- पालमपुर के बंदला में प्रकृति की अद्भुत खूबसूरती के बीच बसा है माता विंध्यवासिनी का मंदिर
- Kangra से 23 किलोमीटर दूर बाबा बड़ोह मंदिर है संगमरमर और वास्तुकला का अनोखा मिश्रण
- धर्मशाला में है 51 शक्तिपीठों में से एक मां कुनाल पत्थरी मंदिर, पत्थर से निकले पानी का बंटता है प्रसाद
Web Title achhara-mata-mandir-kangra
(Religious Places from The Himalayan Diary)
(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)