उत्तराखंड (uttarakhand) के पिथौरागढ़ (pithoragarh) जिले के धारचूला (dharchula) में धौलीगंगा नदी के किनारे मौजूद दारमा घाटी (darma valley) अपनी प्राकृतिक खूबसूरती के लिए जानी जाती है। इसे उत्तराखंड ही नहीं बल्कि हिमालय (himalaya) की सबसे खूबसूरत घाटियों में से एक माना जाता है। धौलीगंगा का बहता साफ पानी, पंचाचुली पर्वत (panchachuli) की मनमोहक चोंटियां, बुग्यालों की आरामदायक हरी गद्देदार घास और यहां की स्थानीय परम्पराएं व रहन-सहन दारमा घाटी को बेहद अलग और शानदार बनाता है। प्रकृति से प्यार करने वाले लोगों को दारमा घाटी बहुत पसंद आती है।
दुग्तू और दांतू गांव
दारमा घाटी (darma valley) की खूबसूरती का असली मजा लेने के लिए पर्यटक (tourists) दुग्तू और दांतू गांव पहुंचते हैं। यह दोनों गांव दारमा घाटी के सबसे खूबसूरत छोर पर एक-दूसरे के सामने बसे हुए हैं। यहां से पंचाचूली चोटियों का कभी ना भूलने वाला नजारा दिखाई देता है। दुग्तू गांव को पंचाचूली का प्रवेश द्वार (panchachuli base camp) भी कहा जाता है। यहां से पंचाचूली ग्लेशियर तक जाने का ट्रैक है, जो महज तीन से चार किलोमीटर का है। दुग्तू गांव से कुछ दूरी पर चलते ही पंचाचूली चोटियों का मंत्रमुग्ध करने वाला नजारा दिखाई देना शुरू हो जाता है। खासकर तड़के सूरज की पहली किरणें पंचाचूली चोटियों पर गिरते हुए देखना प्रकृति प्रेमियों को अपने आप में अद्भुत सुकून देता है। फोटो खींचने के शौकीनों के लिए इस नजारे को अपने कैमरे में कैद करना यादगार अनुभव रहता है।

Source – Hindustan Times
बुरांश के फूल
दारमा घाटी में यात्रा और ट्रेक करने का सबसे अच्छा समय बीच मार्च से जून के मध्य और बीच सितंबर से लेकर अक्टूबर के अंत का माना जाता है। अगर आप अप्रैल से लेकर जून के दरम्यान दारमा घाटी आते हैं, तो यहां आपको अलग-अलग तरह के बुरांश के फूल खिले नजर आएंगे। निचले हिमालयों के बाकी इलाकों से अलग यहां सफेद और बैंगनी रंगों के बुरांश के फूल खिलते हैं। इस क्षेत्र में वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता है। पूर्वी कुमाऊं हिमालय में ट्रेकिंग मार्ग में गोरी गंगा और दारमा घाटियों के बीच का इलाका है। ट्रेकिंग को पसंद करने वाले पर्यटकों के लिए यह क्षेत्र एक आदर्श जगह है। डार से पंचाचुली ग्लेशियर एक जाने वाला मार्ग दुग्तू गांव से होकर ही गुजरता है।
कैसे पहुंचें दारमा घाटी
दारमा घाटी पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको धारचूला पहुंचना होगा। आप चाहें तो धारचूला में एक रात भी बिता सकते हैं। धारचूला से दुग्तू तक की दूरी लगभग 80 किलोमीटर है। लेकिन इसे तय करने में काफी वक्त लग जाता है क्योंकि रास्ता काफी दुर्गम और रोमांचक है। धारचूला से सबसे नजदीकी हवाई अड्डा करीब 300 किलोमीटर दूर पंतनगर में है। यहां से धारचूला जाने के लिए टैक्सी और बस के सुविधा मिलती है। धारचूला से निकटतम रेलवे स्टेशन 240 किलोमीटर दूर टनकपुर में है। टनकपुर रेलवे स्टेशन उत्तराखंड के चंपावत जिले में एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन मीटर गेज है और ब्रॉड गेज लाइनें निर्माणाधीन हैं। धारचूला सड़क मार्ग द्वारा अलमोड़ा, पिथौड़ागढ़, काठगोदाम, टनकपुर आदि से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है।
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Web Title fascinating view of panchachili peaks seen from darma valley of dharchula in uttarakhand
located in pithoragarh of uttarakhand