असाधारण नक्काशी का अद्भुत नमूना है Lahaul का मृकुला देवी मंदिर

Mrikula Devi Temple Lahaul

प्राकृतिक खूबसूरती के साथ-साथ देवभूमि हिमाचल प्रदेश को ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों के लिए भी जाना जाता है। यहां कई ऐसे मंदिर हैं, जिनमे श्रद्धालुओं की गहरी आस्था है। हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे ऐतिहासिक धार्मिक स्थल के बारे में बता जा रहे हैं, जो अपनी अद्भुत शैली के लिए श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र है। लाहौल के उदयपुर में मृकुला देवी मंदिर (Mrikula Devi Temple Lahaul) का इतिहास द्वापर युग से जुड़ा हुआ है। समुद्रतल से 2623 मीटर की ऊंचाई पर मृकुला देवी मंदिर के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

मान्यता है कि मृकुला देवी के इस प्रसिद्द मंदिर का निर्माण पांडवों के वनवास के समय हुआ था। महाबली भीम द्वारा लाए गए एक वृक्ष की लकड़ी से देवताओं के शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा ने महज एक दिन में इस मंदिर का निर्माण किया था। मृकुला देवी को माता काली के रूप में पूजा जाता है। मान्यता है कि महिषासुर का वध करने के बाद उसके रक्त को माता ने एक खप्पर में रख दिया था। वह खप्पर आज भी यहां माता काली की मूर्ति के पीछे रखा हुआ है। इस खप्पर को श्रद्धालुओं के देखने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है। लोगों की आस्था है कि अगर इस खप्पर को कोई गलती से भी देख ले तो वह अंधा हो जाता है।

इतिहास के अलावा मृकुला देवी मंदिर को अपनी अद्भुत और उत्कृष्ट नक्काशी के लिए भी जाना जाता है। यही कारण है कि कला प्रेमियों के बीच भी यह धार्मिक स्थल काफी महत्व रखता है। बाहर से देखने पर यह धार्मिक स्थल साधारण और कुटीर सा लगता है, लेकिन भीतर जाने पर आपको कला की एक अलग ही दुनिया देखने को मिलती है। मंदिर की काष्ठ कला विभिन्न शताब्दियों में की गई है। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित माता की मूर्ति बाहर से नजर आ जाती है। प्रतिमा कक्ष का दरवाजा छोटा है, इसलिए माता के चरणों तक पहुंचने के लिए झुक कर जाना होता है। दो-तीन लोग ही एक समय में यहां फूल चढ़ा सकते हैं।

मंदिर में माता की अष्टभुजी मूर्ति है। मूर्ति का निर्माण 1569-70 ई. में किया गया था। सिंह पर बैठी माता काली को महिषासुर पर प्रहार करते हुए दर्शाया गया है। मंदिर की दीवारों पर देवी-देवताओं से संबंधित चित्र भी दर्शाए गए हैं। यहां गंगा-जमुना, आठ ग्रह, भगवान विष्णु के अवतार, भगवान शिव का तीसरा नेत्र खुलने, भगवान कृष्ण-अर्जुन, द्रौपदी स्वयंवर, अभिमन्यू का चक्रव्यू, तीरों पर लेटे भीष्म पितामह सहित कई चित्र मौजूद हैं। मंदिर की दीवारें पहाड़ी शैली में बनी हुई हैं। पुरात्तव विभाग इस मंदिर का रखरखाव करता है।

कैसे पहुंचें Mrikula Devi Temple Lahaul

मृकुला देवी का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल लाहौल-स्पीति जिले के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल उदयपुर में है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा 204 किलोमीटर दूर भुंतर में है, जबकि यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन पठानकोट में है। यहां से नजदीकी शहर केलांग 50 किलोमीटर की दूरी पर है। कुल्लू और मनाली से केलांग पहुंचने के लिए सरकारी या निजी बस की सुविधा उपलब्ध है। केलांग से उदयपुर पहुंचने के लिए भी वाहन मिल जाते हैं।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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