चंबा में स्थित है भव्य और प्राचीन मंदिरों का समूह, दुर्लभ मार्बल से बनी है मूर्तियां

Laxmi Narayan Temple Chamba

हिमाचल प्रदेश के चंबा में प्राचीन लक्ष्मी नारायण मंदिर (Laxmi Narayan Temple Chamba) का निर्माण 10वीं सदी में किया गया था। यहां के राजा साहिल वर्मन ने इस मंदिर को 920 और 940 ई के बीच बनवाया था। यह मंदिर शिखर शैली में बनाया गया था। लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा का सबसे बड़ा और सबसे पुराना मंदिर है। दरअसल यह छह पत्थर सिखारा मंदिरों का एक समूह है। यह मंदिर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित है। इनके अलावा देवी गौरी और राधा की भी पूजा की जाती है। अगर कलात्मक दृष्टि से देखा जाए तो लक्ष्मी नारायण मंदिर का अपना विशेष महत्व है। छतों पर बर्फबारी से बचाव के लिए लकड़ी की छतरियां बनाई गई हैं। मंदिर में दुर्लभ मार्बल से बनी मूर्तियां स्थापित हैं। मान्यता है कि इस मार्बल को प्राप्त करने के लिए राजा ने अपने आठ पुत्रों का बलिदान दिया था।

छह मंदिरों के समूह लक्ष्मी नारायण मंदिर में जाते ही सबसे पहले भगवान विष्णु की भव्य प्रतिमा के दर्शन होते हैं। मंदिर के गर्भगृह में विशाल सिंहासन पर भगवान विष्णु की मूर्ति स्थापित है। सिंहासन के एक तरफ भगवान श्री गणेश और दूसरी तरफ भगवान बुद्ध की प्रतिमा है। समूह का दूसरा मंदिर राधा-कृष्ण का है। इस मंदिर में संगमरमर से बनी भगवान कृष्ण की चतुर्भुजी मूर्ति और देवी राधा की मूर्ति स्थापित है। समूह का तीसरा मंदिर चन्द्रगुप्त महादेव का है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित है और ऊपर चांदी का छत्र है।

समूह का चौथा मंदिर गौरीशंकर महादेव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में कांस्य धातु से बनी भगवान शिव की चतुर्भुजी मूर्ति स्थापित है। मूर्ती के पीछे नंदी और आगे शिवलिंग स्थापित है। समूह का पांचवा मंदिर अम्बकेश्वर महादेव या त्रिमुकतेश्वर महादेव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में संगमरमर का बना त्रिमुखी शिवलिंग स्थापित है। समूह का छठा मंदिर लक्ष्मी दामोदर के नाम से प्रसिद्द भगवान विष्णु को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में संगमरमर से बनी भगवान विष्णु की चतुर्भुजी प्रतिमा स्थापित है।

कैसे पहुंचें Laxmi Narayan Temple Chamba

चंबा बसों और टैक्सियों द्वारा अच्छी तरह से अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। चंबा से नजदीकी हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन दोनों 120 किलोमीटर दूर पठानकोट में हैं। नई दिल्ली से पठानकोट के लिए नियमित ट्रेन चलती हैं। इसके अलावा हवाई मार्ग द्वारा कांगड़ा (172 किलोमीटर), अमृतसर (220 किलोमीटर) और चंडीगढ़ (400 किलोमीटर) भी पहुंच सकते हो। इन शहरों से चंबा जाने के लिए सड़क मार्ग की मदद लेना होगी। हिमाचल पथ परिवहन निगम की बस शिमला, सोलन, कांगड़ा, धर्मशाला, पठानकोट, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ से चलती हैं। इन बसों की मदद से चंबा पहुंच सकते हैं।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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