उत्तराखंड (uttarakhand) के रुद्रप्रयाग (rudraprayag) में द्वितीय केदार के नाम से विख्यात मदमहेश्वर के क्षेत्र में ही पड़ने वाले मां राकेश्वरी मंदिर (rakeshwari temple) में अब तक हजारों श्रद्धालुओं को क्षय रोगों से छुटकारा मिल चुका है। कई लोगों के शरीर के दाग भी यहां आकर रहस्यमय ढंग से गायब हो चुके हैं। यही वजह है कि दूर दराज से श्रद्धालु यहां माता के आगे माथा टेकने के लिए आते हैं। पैगोड़ा शैली में बने इस मंदिर के बारे में ऐसा भी कहा जाता है कि मंदिर में भगवान शिव और हनुमान अवस्थित हैं, जिसके चलते यहां आने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
पौराणिक कथाओं के अनुसार कहा गया है कि चंद्र देव की 27 पत्नियां थी। जिनमें से रोहिणी के प्रति चंद्र देव का प्रेम अधिक था। जिसके चलते एक समय चंद्र देव की अन्य पत्नियां नाराज हो गई थी। इस परिस्थिति में रोहिणी अपने पिता दक्ष के पास पहुंची। इसके बाद राजा दक्ष ने अपनी बेटी व अन्य सभी रानियों को दुखी देखकर चंद्र देव को श्राप दे दिया। जिसके बाद चंद्र देव क्षय रोग से घिर जाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि चंद्रमा इसी श्राप की वजह से पूर्णिमा के बाद क्षीण हो जाते हैं।

source – facebook
चंद्र देव ने किया मां भगवती का तप
जब चंद्र देव को श्राप मिला, तो वह क्षय रोग से बुरी तरह से ग्रस्त हो गए। ऐसे में उन्होंने क्षय रोग से मुक्ति के लिए इसी स्थान पर मां भगवती का तप किया था। जिस पर मां भगवती ने प्रसन्न होकर चंद्र देव से कहा कि श्राप से मुक्ति तो नहीं दी जा सकती, लेकिन उन्होंने कहा कि पूर्णिमा के बाद आपका रंग क्षीण होने के बावजूद कुछ ही दिन में वापस अपने रूप में आ सकेंगे। इसी श्राप के चलते चंद्रमा की कलाएं भी बदलती रहती हैं और मां राकेश्वरी को क्षय रोग दूर करने वाली देवी कहा जाता है।
कैसे पहुंचें राकेश्वरी देवी मंदिर
रुद्रप्रयाग से 37 किलोमीटर की दूरी पर रांसी गांव में मां राकेश्वरी देवी का मंदिर हैं। यहां आने के लिए रुद्रप्रयाग से स्थानीय वाहनों की मदद लेनी पड़ेगी। रेल यात्रा से अगर रुद्रप्रयाग आना चाहते हैं, तो ऋषिकेश रेलवे स्टेशन सबसे नजदीक पड़ेगा। वहीं हवाई सफर से पहुंचना चाहते हैं, तो जाॅली ग्रांट हवाई अड्डे तक आना होगा। यहां से आगे का सफर स्थानीय वाहनों से आसानी से किया जा सकता है। वहीं बस से सफर कर रहे हैं, तो पौड़ी से 62 किलोमीटर की दूरी पर रुद्रप्रयाग पड़ेगा। यहां से आगे का सफर सुगमता से तय किया जा सकता है।
Uttarakhand के बारे में यह भी जानें
- Uttarakhand के इस पर्वत पर रहते हैं भगवान शिव, चमत्कारिक रूप से बनता है ओम
- उत्तराखंड सरकार ने लिया फैसला, रोजाना 3 हजार श्रद्धालु ही कर सकेंगे चारधाम की यात्रा
- यहां आंखों पर पट्टी बांधकर होती है भगवान की पूजा, मंदिर में कई युगों से कैद हैं देवता
Web Title rakeshwari temple in rudraprayag uttarakhand provides relief from tuberculosis
(Religious Places from The Himalayan Diary)