हिमाचल प्रदेश (himachal pradesh) के शिमला (shimla) जिले में बसा नारकंडा (narkanda) प्रदेश के बेहतरीन हिल स्टेशनों में से एक है। यह प्राकृतिक दृश्यों से भरपूर एक शानदार पर्यटन स्थल (tourism place) है। नारकंडा चारों ओर फैली सफेद बर्फ से ढकी गहरी घाटियों के लिए प्रसिद्द है। यहां प्रकृति की अद्भुत छटा देखने लायक होती है। प्रकृति की इसी खूबसूरती के बीच नारकंडा के हाटू पीक (hatu peak) पर स्थापित है प्रसिद्ध हाटू माता का मंदिर (hatu mata temple)। बर्फ से लदी पहाड़ियों और चारों तरफ प्रकृति के सौंदर्य से घिरा यह पवित्र स्थल देवी मां काली को समर्पित है। मंदिर का निर्माण विशिष्ट हिमाचली वास्तुकला में किया गया है। इसकी समुद्र तल से ऊंचाई लगभग 12,000 फुट है। यह शिमला की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।
मंदिर का इतिहास
हाटू माता मंदिर को लेकर मान्यता है कि मंदिर का निर्माण रावण की पत्नी मंदोदरी ने करवाया था। वैसे तो यहां से लंका बहुत दूर है, लेकिन इसके बावजूद वह अक्सर यहां माता के दर्शन और पूजा करने के लिए आया करती थी। बताया जाता है कि मंदोदरी हाटू माता की बहुत बड़ी भक्त थी। वहीं एक मान्यता यह भी है कि महाभारत काल में पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान हाटू माता मंदिर में काफी समय बिताया था। पांडवों ने यहां पर माता की कठिन तपस्या और उपासना कर शत्रुओं पर विजय पाने का वरदान प्राप्त किया था। उस समय की प्राचीन शिला आज भी हाटू पीक पर साक्ष्य के रूप में मौजूद है। मंदिर के पास ही तीन बड़ी चट्टानें हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि ये भीम का चूल्हा है। जहां आज भी अगर खुदाई करने पर जला हुआ कोयला मिलता है, जिससे पता चलता है कि पांडव इस जगह पर खाना बनाया करते थे।

Source – Snow King Retreat
महामाया मंदिर
हाटू माता मंदिर में हर साल ज्येष्ठ महीने के पहले रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस दिन को हाटू माता मंदिर की स्थापना के रूप में मनाया जाता है। इस दिन यहां विशाल मेला भी लगाया जाता है। मान्यता है कि हाटू माता मंदिर में आकर जो श्रद्धालु सच्ची भक्ति से मां हाटू माता के दरबार में पहुंचता है, उसकी हर मनोकामना दुख, दर्द, दरिद्र दूर हो जाते हैं। हाटू माता मंदिर से राजों और रजवाड़ों का पूर्वजों के समय से खास लगाव रहा है। आज भी देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं की हाटू माता के प्रति गहरी आस्था है। हाटू माता मंदिर आने वाले श्रद्धालु नारकंडा के ही एक अन्य लोकप्रिय महामाया मंदिर के दर्शन भी कर सकते हैं। इसके अलावा नारकंडा में 18वीं शताब्दी का एक प्रसिद्घ फार्म भी है, जो अपने सेब के बागों के लिए प्रसिद्ध है।
कैसे पहुंचें नारकंडा
नारकंडा वायुमार्ग व सड़कों द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। पर्यटक यहां आसानी से पहुंच सकते हैं। नारकंडा नियमित बस सेवा द्वारा प्रदेश के प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। यह पर्यटक स्थल शिमला से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है। शिमला से नारकंडा के लिए आसानी से बस या टैक्सी की सुविधा मिल जाती हैं। नारकंडा से छोटी लाइन का नजदीकी रेलवे स्टेशन शिमला में स्थित है। पर्यटक बड़ी लाइन के मदद से कालका रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। इसके बाद पर्यटक कालका से छोटी लाइन पर चलने वाली कालका-शिमला रेल की मदद से शिमला तक पहुंच सकते हैं। नारकंडा से निकटतम बड़ा हवाई अड्डा लगभग 184 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है। पर्यटक चंडीगढ़ एयरपोर्ट या दिल्ली एयरपोर्ट से फ्लाइट लेकर जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा तक आ सकते हैं। रोहडू से जुब्बड़हट्टी हवाई अड्डा की दूरी लगभग 81 किलोमीटर है।
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Web Title hatu mata temple of narkanda in shimla himachal pradesh