शिमला से 104 किलोमीटर दूर है हाटकोटी मंदिर, यहां होती है भक्तों की हर मनोकामना पूरी

देवभूमि के नाम से प्रसिद्द हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। यहां आपको हर थोड़ी दूरी पर एक धार्मिक स्थल मिल जाएगा। यही वजह है कि यहां हर साल बड़ी संख्या में देश-विदेश से श्रद्धालु आते हैं। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश के एक ऐसे प्रसिद्ध धार्मिक स्थल के बारे में बताने जा रहे है, जिसका अपना ऐतिहासिक महत्व है। इस मंदिर का नाम हाटकोटी (Hatkoti Temple Rohru) है। शिमला से लगभग 104 किलोमीटर दूर, शिमला-रोहड़ू मार्ग पर पब्बर नदी के दाहिने किनारे पर धान के खेतों के बीच स्थित यह धार्मिक स्थल समुद्र तल से लगभग 1370 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण 10वीं शताब्दी में किया गया था।

मनमोहन हरी-भरी वादियों के बीच स्थित इस धार्मिक स्थल पर आकर श्रद्धालु को असीम शांति का अनुभव होता है। लोग दूर-दूर से माता के दरबार में पहुंचते हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त माता के दरबार में आकार सच्चे मन से शीश झुकाते हैं उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है। माना जाता है कि हाटकोटी के मंदिर का निर्माण राजा विराट ने किया था। इस मंदिर का संबंध पांडवों से भी है। कहा जाता है कि पांडवों ने अपने गुप्त वास के दौरान इस जगह पर काफी समय व्यतीत किए था। हाटकोटी मंदिर में दुर्गा के मंदिर के साथ शिखरनुमा शैली में शिव का मंदिर बना हुआ है। मंदिर की छत लकड़ी से बनी हुई है, जिस पर देवी-देवताओं की आकृति बनाई गई हैं। मंदिर के गर्भगृह में लक्ष्मी, विष्णु, दुर्गा, गणेश आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं।

इस मंदिर को लेकर एक लोककथा प्रचलित है कि बहुत वर्षो पहले यहां रहने वाली ब्राह्मण परिवार की दो सगी बहनों में बहुत कम उम्र में अल्प आयु में सन्यास ले लिया था। इस दौरान उन्होंने संकल्प लिया कि वह गांव-गांव जाकर लोगों के दुःख दर्द सुनेंगी और उन्हें बांटेगी। उन दो बहनों में से एक हाटकोटी गांव पहुंची और एक खेत में ईश्वर का ध्यान करते हुए लुप्त हो गई। जिस स्थान पर वह बैठी वहां एक पत्थर की प्रतिमा निकल पड़ी। जब इस घटना की जानकारी जुब्बबल रियासत के राजा को दी गई तो वह तुरंत उस स्थान पर पहुंचे। राजा ने प्रतिमा के चरणों में सोना चढ़ाने के लिए जैसे ही प्रतिमा के आगे कुछ खुदाई की तो वह दूध से भर गया। उसके उपरांत खोदने पर और राजा ने यहां पर मंदिर बनाने का निश्चय ले लिया। लोगों ने उस कन्या को देवी रूप माना और गांव के नाम से इसे ‘हाटेश्वरी देवी’ कहा जाने लगा।

कैसे पहुंचें Hatkoti Temple Rohru

हाटकोटी मंदिर से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 98 किलोमीटर दूर शिमला में स्थित है। श्रद्धालु रेल मार्ग से पहले 171 दूर कालका रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं। इसके बाद श्रद्धालु कालका से छोटी लाइन पर चलने वाली कालका-शिमला रेल की मदद से शिमला तक आ सकते हैं। शिमला से हाटकोटी मंदिर पहुंचने के लिए श्रद्धालु बस या फिर टैक्सी की मदद ले सकते हैं। हाटकोटी मंदिर सड़क मार्ग द्वारा शिमला सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।

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Web Title hatkoti-temple-in-rohru

(Religious Places from The Himalayan Diary)

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