हिमाचल प्रदेश (himachal) के सिरमौर (sirmaur) जिले में शिमला-नाहन रोड (Shimla Nahan Road) पर क्वागधार की पर्वत श्रृंखला पर बसा भूरेश्वर महादेव (bhureshwar mahadev) का मंदिर (Temple) भक्ति और आस्था की स्थली है। इसके साथ ही यह भाई-बहन के प्रेम के प्रतीक के रूप में भी पूजनीय है। यहां से पंजाब का मैदानी इलाका और चूड़धार की पर्वत श्रृंखलाओं के साथ शिमला की पहाड़ियों के दृश्यों का आनंद लिया जा सकता है। मान्यता है कि द्वापर युग में इस पर्वत श्रृंखला पर बैठकर ही महादेव (Lord Shiva) ने माता पार्वती के साथ महाभारत युद्ध को देखा था। उसी समय से यहां पर शिवलिंग की उत्पत्ति मानी जाती है। यह प्राचीन शिव मंदिर समुद्र तल से करीब 6800 फीट ऊंचाई पर है । यह जगह चारों तरफ से हरे भरे पेड़ों व पहाड़ियों से घिरी हुई है। इस मंदिर तक पहुंचने के दौरान जगह जगह पर रास्ते में शिवलिंग के दर्शन होते हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार यहां पास के ही गांव टिकरी पंझोली में भाई-बहन रहते थे, जो सौतेली मां के खराब व्यवहार से परेशान थे। वे रोजाना इसी पर्वत श्रृंखला पर पशुओं को चराने के लिए आते थे। एक दिन तेज तूफान में उनका बछड़ा गुम हो गया। सौतेली मां ने लड़के को आंधी में ही बछड़ा ढूंढने के लिए भेज दिया। जब लड़का बछड़े को ढूंढता हुआ शिवलिंग के पास पहुंचा, तो वहां बछड़ा शीत प्रकोप के चलते निश्चल हो गया था। यह देख लड़का सहम गया और शिव अराधना में लीन हो गया। अगले दिन जब लड़के के पिता पुत्र को ढूंढने गए, तो बछड़ा और लड़का दोनों ही देखते ही देखते देवयोग से अंतर ध्यान हो गए। कुछ ही दिनों में सौतेली मां ने लड़के की बहन का विवाह तय कर दिया, जिस दिन लड़की की डोली जा रही थी तो उसने रास्ते में उस स्थान पर जाने की इच्छा जाहिर की, जहां उसका भाई अंतरध्यान हुआ था। लड़की की डोली जब वहां पहुंची तो उसने वहां गहरी खाई में छलांग लगा दी और अंतरध्यान हो गई। उसी समय से हर साल दिवाली के ग्यारहवें दिन यहां मेला लगता है। लोग शिवलिंग के साथ उस स्थान पर जहां लड़की ने छलांग लगाई थी, उस पर दूध-दही व घी चढाकर पूजा अर्चना करते हैं। भाई बहन के मिलन का यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है।

Source : Anmol Production
शिवलिंग और देव शिला में श्रद्धालु चढ़ाते हैं प्रसाद
मंदिर के प्रवेश द्वार पर पहुंचते ही भूरेश्वर कथा संक्षिप्त में लिखी हुई है। जिसे आराम से बैठ कर पढ़ सकते हैं। मंदिर में शिव परिवार भी स्थापित है। यहां रखे प्राचीन वाद्य यंत्र समय-समय पर बजाये जाते हैं। मंदिर की परिक्रमा करने पर काफी सुंदर नजारा दिखाई देता है। यहां काफी ऊंचाई पर होने का एहसास भी होता है। यहां पर एक देव शिला भी है, ऐसा कहा जाता है कि यहां देवता छलांग लगाते हैं। विशेष अवसरों पर श्रद्धालु देव शिला पर खीर और दूध आदि का भोग लगाते हैं। यहां ऊंचाई पर एक पात्र भी रखा हुआ है। प्राचीन समय में शिवलिंग और देव शिला में प्रसाद चढ़ाने के बाद जो भी बचता था, उसे इस पात्र में डाल दिया जाता था।
ऐसे पहुंचें भूरेश्वर मंदिर
मंदिर तक पहुंचने के लिए सिरमौर जाना होगा। हवाई यात्रा से जाना चाहते हैं, तो नजदीकी हवाई अड्डा चंडीगढ़ में है। वहां से 120 किलोमीटर की दूरी पर यह मंदिर है। यहां से किराए पर कार व टैक्सी मिल जाएगी। इसके अलावा ट्रेन से सिरमोर की यात्रा करने के लिए निकटतम रेलवे स्टेशन बड़ोग है, जोकि सिरमौर से 52 किलोमीटर की दूरी कालका-शिमला छोटी लाइन पर है। यहां से किराए पर कार मिल जाएगी, मंदिर सिरमौर से 65 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां पर्यटक कार या बस से पहुंच सकते हैं। सड़क मार्ग से जाने के लिए शिमला और सिरमौर के बीच की दूरी 154 किलोमीटर है।
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Web Title bhureshwar mahadev temple is located on a hill top in sirmaur district of himachal