जोगिंदरनगर में है बाबा बालकरूपी मंदिर, भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का माने जाते हैं अवतार

Baba Balakrupi Temple

उत्तर भारतीय राज्यों हिमाचल प्रदेश, पंजाब, दिल्ली में श्री बाबा बालक नाथ को बहुत श्रद्धा से पूजा जाता है। 9 नाथों और 84 सिद्धों में से एक श्री बाबा बालक नाथ हिंदू आराध्य हैं। हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में श्री बाबा बालक नाथ का बालकरूपी मंदिर (Baba Balakrupi Temple) है। जोगिंदरनगर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित प्राचीन बाबा बालकरूपी मंदिर क्षेत्र के लोगों की आस्था का केंद्र है। यहां श्री बाबा बालक नाथ बाल रूप में विराजमान हैं। इसलिए इसे बाबा बालकरूपी मंदिर कहा जाता है। लोगों का विश्वास है कि बाबा का बाल रूप में यह अवतार भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय का अवतार था।

मान्यता है कि क्षेत्र की एक महिला कांगड़ा जिले में आलमपुर में स्थित बाबा बालकरूपी मंदिर में रोजाना दर्शन करने जाती थी। महिला के मन में बाबा बालकरूपी के प्रति गहरी आस्था थी। जब महिला बूढी हो गई, तो उसने बाबा बालकरूपी से प्रार्थना की कि मैं अब बूढी हो गई हूं और अब मेरा शरीर जर्जर हो चुका है। इसलिए आपके दर्शन करने के लिए मंदिर नहीं आ पाऊंगी। उसी रात बाबा महिला के स्वप्न में आए और कहा कि मेरे मंदिर के पास से एक पत्थर उठाकर तुम जहां भी रखोगी, मैं वहां स्थापित हो जाऊंगा। लेकिन रास्ते में पत्थर को मत रखना। महिला ने ऐसा ही किया, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही लघुशंका आने पर पत्थर जमीन पर ही रखना पड़ा। जैसे ही पत्थर जमीन पर रखा, वहां बाबा बालक नाथ प्रकट हो गए और तब से वहीं पर विराजमान हैं। यह जगह आज बाबा बालकरूपी मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है।

बाबा बालकरूपी मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर में बच्चों के मुंडन संस्कार की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के तहत ढाई साल से अधिक उम्र के बच्चों के बाल यहां अर्पित किए जाते हैं। इसके अलावा नवदंपति भी बड़ी संख्या में बाबा बालकरूपी मंदिर में हाजिरी लगाने आते हैं। इस दौरान नवदंपति श्री बाबा बालक नाथ को गेंहू आदि चीजें अर्पित करके अपने सुखद भविष्य की कामना करते हैं। इस पवित्र धार्मिक स्थल पर विशेष महीने में हर शनिवार को मेले का आयोजन होता है। लोग भारी मात्रा में यहां जातर लेकर आते हैं और बाबा जी का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

बालक नाथ के बारे में मान्यता है कि इनका जन्म सभी युगों में हुआ है। हर युग में इन्हें अलग-अलग नाम से जाना गया। सतयुग में बाबाजी को स्कन्द जबकि त्रेता युग में कौल और द्वापर युग में महाकौल के नाम से जाना गया। बाबा जी के मंदिर के पास ही भूचर नाथ का मंदिर भी है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां भूचर नाथ को हल्दी लगाने से खारिश आदि समस्याओं से छुटकारा मिलता है। यहां भी भूचर नाथ को गेहूं समर्पित की जाती है। मंदिर के पास ही सराय भी बनाई गई है, जहां श्रद्धालु रात्रि विश्राम के लिए भी रुक सकते हैं।

कैसे पहुंचे Baba Balakrupi Temple

बाबा बालकरूपी मंदिर जोगिंदरनगर में स्थित है। जोगिंदरनगर सड़क मार्ग से पठानकोट और चंडीगढ़ के साथ ही कुल्लू-मनाली सहित प्रदेश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जोगिंदरनगर में ही छोटी लाइन का रेलवे स्टेशन है, जो पठानकोट से जुड़ा हुआ है। यहां से नजदीकी हवाई अड्डा लगभग 95 किलोमीटर दूर भुंतर में है। जहां के लिए चंडीगढ़ व दिल्ली से फ्लाइट मिलती हैं।

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(Religious Places from The Himalayan Diary)

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