करसोग घाटी के चमत्कारिक ममलेश्वर महादेव मंदिर में पांडव काल से अब तक जल रहा है अग्निकुंड

देवताओं की भूमि हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं। इन्हीं धार्मिक स्थलों में से एक है मंडी जिले की करसोग घाटी के ममेल गांव में स्थित ममलेश्वर महादेव मंदिर (Mamleshwar Mahadev Temple) है। भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित इस रहस्यमयी मंदिर का संबंध महाभारत काल से है। माना जाता है कि अपने अज्ञातवास के दौरान पांडव ममलेश्वर महादेव में पूजा अर्चना किया करते थे। मान्यता है कि भगवान शिव का यह मंदिर पांडव काल से भी पुराना है। इसका महाभारत काल में घटित कई घटनाओं से गहरा संबंध रहा है। ममलेश्वर महादेव मंदिर में पांडवों से जुड़ी कई तरह की निशानियां आज भी मौजूद हैं। इन निशानियों को देखने और भगवान शिव-माता पार्वती के दर्शन करने के लिए यहां बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। यहां देश-विदेश से पर्यटक भी पहुंचते हैं।

ममलेश्वर मंदिर में 100 से भी ज्यादा शिवलिंग दबे हुए हैं। मंदिर में पांच शिवलिंग भी स्थित हैं। माना जाता है कि इनकी स्थापना पांडवों ने की थी। मंदिर में एक प्राचीन विशाल ढोल है, जिसके बारे में कहा जाता है कि ये भीम का ढोल है। इनके अलावा मंदिर में 150 ग्राम वजन का कनक का दाना भी है। कई लोग इसे गेंहू का दाना भी कहते हैं। 150 ग्राम वजन के गेंहू के इस अद्भुत दाने को देखने के लिए आपको पुजारी से आग्रह करना पड़ता है। पुरातत्व विभाग ने भी मंदिर में रखी इन वस्तुओं को अतिप्राचीन बताया है।

ममलेश्वर मंदिर में एक अग्निकुंड है, जो हमेशा जलता रहता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह अग्निकुंड पांच हजार साल पहले पांडवों ने जलाया था और तब से यह जल रहा है। इस अग्निकुंड के पीछे एक कथा प्रचलित है कि अज्ञातवास के दौरान पांडव कुछ समय के ममेल गांव में रुके थे। उस समय गांव के पास गुफा में एक राक्षस रहता था। गांव वालों ने राक्षस के प्रकोप से बचने के लिए उसके साथ समझौता किया हुआ था कि वह अगर सारे गांव को एक साथ ना मारे तो वह रोज भोजन के रूप में एक आदमी को उसके पास भेजेंगे। एक दिन पांडव जिस घर में रुके थे, उसी घर के लड़के का नंबर आया। जब पांडव को इसके बारे में पता चला तो अतिथि धर्म निभाते हुए उस लड़के के स्थान पर पांडवों में से एक भीम राक्षस के पास गया। जब भीम राक्षस के पास पहुंचा तो दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ और अंत में भीम ने राक्षस को मार गिराया। कहा जाता है कि तब से ही भीम की विजय की याद में यह अग्निकुंड जल रहा है।

कैसे पहुंचें Mamleshwar Mahadev Temple

पर्यटक वायु मार्ग या रेल मार्ग द्वारा शिमला तक पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव मंदिर तक पहुंचने के लिए शिमला और मंडी से बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध हैं। पर्यटक बड़ी लाइन रेल मार्ग की मदद से कालका रेलवे स्टेशन तक पहुंच सकते हैं। इसके बाद पर्यटक कालका से छोटी लाइन पर चलने वाली कालका-शिमला रेल की मदद से शिमला तक पहुंच सकते हैं। ममलेश्वर महादेव मंदिर से शिमला की दूरी लगभग 110 किलोमीटर है।

Himchal Pradesh के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:

Web Title mamleshwar-mahadev-temple-mandi-himachal

(Religious Places from The Himalayan Diary)

(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)

Leave a Reply