इस पवित्र स्थल पर होता है मां-पुत्र का पावन मिलन, रेणुका झील में स्नान से मिट जाते हैं सारे पाप

Renuka Ji Temple

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के नाहन से 40 किलोमीटर दूर धार्मिक स्थल श्री रेणुका जी है। यह प्रदेश के लोकप्रिय स्थलों में से एक है। यहां की रेणुका झील को हिमाचल की सबसे बड़ी झील के रूप में जाना जाता है। इस झील की लंबाई 672 मीटर है। यहां पर मां श्री रेणुका जी और भगवान परशुराम जी के भव्य मंदिर (Renuka Ji Temple) हैं। यहां हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की दशमी से पूर्णिमा तक मां-पुत्र के पावन मिलन के मेले का आयोजन किया जाता है। श्री रेणुका जी का यह मेला हिमाचल प्रदेश के सबसे प्राचीन मेलों में से एक है। इस दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है और श्रद्धालु रेणुका झील में स्नान करते हैं।

श्री रेणुका जी के पवित्र स्थल पर प्रदेश के ही नहीं बल्कि पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, यूपी, दिल्ली समेत देश के कई हिस्सों से श्रद्धालु आते हैं। भक्त यहां झील में स्नान कर मोक्ष की कामना करते हैं। मान्यता है कि रेणुका झील में स्नान करने से सारे पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। स्थानीय लोगों के अनुसार कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा को रेणुका झील में स्नान से गंगा, भागीरथी, अन्य नदियां व समुद्र में स्नान करने के बराबर फल मिलता है। यहां लगने वाले मेले के पीछे एक पौराणिक कथा है। माना जाता है कि इस दिन भगवान परशुराम साल में एक बार अपनी मां रेणुका से मिलने आते हैं।

कथा के अनुसार प्राचीन काल में आर्यावर्त में महर्षि ऋचिक के पुत्र महर्षि जमदग्नि का विवाह ऋषि रेणु की कन्या रेणुका से हुआ था। महर्षि जमदग्नि सपरिवार इसी क्षेत्र में रहकर तपस्या करते थे। कथा के अनुसार महर्षि जमदग्नि के पास एक कामधेनु गाय थी, जिसे सभी राजा और ऋषि पाना चाहते थे। एक हजार भुजाओं वाले राजा अर्जुन, जिन्हें सहस्त्रबाहु भी कहा जाता था, एक बार वह महर्षि जमदग्नि के पास कामधेनु गाय मांगने पहुंचे। राजा अर्जुन के आगमन पर महर्षि जमदग्नि ने उनका और उनके सैनिकों का खूब आदर सत्कार किया और उन्हें यह कहते हुए कामधेनु गाय देने से मना कर दिया कि यह गाय उनके पास कुबेर जी की अमानत है।

महर्षि जमदग्नि के मना करने पर राजा अर्जुन गुस्सा हो गए और उन्होंने महर्षि की हत्या कर दी। जब मां रेणुका को यह पता चला तो वह राम सरोवर में कूद गईं। मान्यता है कि सरोवर ने मां रेणुका की देह को ढकने की कोशिश की। जिससे इसका आकार स्त्री देह समान हो गया। इस सरोवर को आज रेणुका झील के नाम से जाना जाता है। जब भगवान परशुराम को इस बात का पता चला तो गुस्से में आकर सेना सहित सहस्त्रबाहु का वध कर दिया। इसके बाद भगवान परशुराम ने पिता जमदग्नि तथा मां रेणुका को अपनी योग शक्ति से पुनर्जीवित कर दिया। इससे खुश होकर माता ने भगवान परशुराम को वचन दिया था कि वह हर साल अपने पुत्र से मिलने यहां आया करेंगी।

कैसे पहुंचें Renuka Ji Temple

यहां से निकटतम हवाईअड्डा 123 किलोमीटर दूर चंडीगढ़ में है, जबकि निकटतम रेलवे स्टेशन अम्बाला कैंट 96 किलोमीटर दूर स्थित है। श्री रेणुका जी आने के लिए आप सड़क मार्ग का सहारा भी ले सकते है। यह स्थल अच्छी तरह से सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह सिरमौर जिले के मुख्यालय नाहन से 40 किलोमीटर दूर है। दिल्ली से इसकी दूरी 290 किलोमीटर है।

Sirmaur के इन प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों के बारे में भी पढ़ें:

Web Title shri-renuka-ji-temple-is-a-holy-religious-place-in-himachal-pradesh

(Religious Places from The Himalayan Diary)

(For Latest Updates, Like our Twitter & Facebook Page)

Leave a Reply