उत्तराखंड (uttarakhand) के चमोली (chamoli) जिले में लाटू देवता मंदिर (latu devta) में ऐसे अनोखे देवता रहते हैं, जो कई युगों से कैद हैं। यहां मंदिर के अंदर जाने से पहले पुजारी को आंखों पर पट्टी बांधनी पड़ती है। यह देश का पहला ऐसा मंदिर (temple) है, जहां स्त्री व पुरूष किसी को भी मंदिर के अंदर प्रवेश की इजाजत नहीं है। इस मंदिर में विराजमान नागराज और मणि दुनिया के लोगों के लिए किसी रहस्य से कम नहीं है। चमोली जिले के देवाल ब्लाॅक के वांण में स्थित लाटू देवता का मंदिर कुछ ऐसा ही है। यहां की अनोखी मान्यताएं आपको हैरान कर सकती हैं।
नंदा देवी के धर्म भाई हैं लाटू देवता
पौराणिक कथाओं के अनुसार लाटू देवता देवी नंदा के धर्म भाई हैं। माता पार्वती को नंदा देवी के नाम से भी जाना जाता है। जब नंदा देवी का विवाह भगवान शिव के साथ हुआ, तो उनकी विदाई के समय सभी भाई भी कैलाश की तरफ जा रहे थे। उसी दौरान रास्ते में उनके चचेरे भाई लाटू को प्यास लगती है। वह पानी की खोज में एक घर तक पहुंच जाते हैं। जहां घर का बुजुर्ग मालिक कहता है कि कोने में मटके से पानी ले लो। वहां रखे दो मटकों में से एक मटके में कच्ची शराब होती है, लेकिन उसका रंग पानी की तरह साफ होने की वजह से वह दोनों में अंतर नहीं कर पाते और कच्ची शराब को पी जाते हैं। कुछ ही देर बाद वह नशे में उत्पात मचाने लगते हैं। जिसे देख माता पार्वती गुस्से में आकर अपने भाई लाटू को कैद में डाल देती हैं। जिन्हें कभी वहां से निकाला ही नहीं गया। कहते हैं उस कैदखाने में विशाल सांप के रूप में लाटू देवता आज भी विराजमान रहते हैं।

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साल में सिर्फ एक बार खोले जाते हैं मंदिर के कपाट
लाटू देवता का मंदिर साल में केवल एक बार ही खोला जाता है। वैशाख पूर्णिमा के दिन यहां के पुजारी अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर मंदिर के द्वार खोलते हैं। इतना ही नहीं पुजारी के मुंह पर भी पट्टी बांध दी जाती है। वहीं श्रद्धालु दूर से ही देवता के दर्शन कर पाते हैं। मंदिर के द्वार खोले जाने पर विष्णु सहस्त्रनाम और भगवती चंडिका पाठ किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहां नागराज अपनी अद्भुत मणि के साथ रहते हैं। जिसे साधारण लोग नहीं देख सकते। लोगों का मानना है कि मणि के तेज प्रकाश से जीवनभर के लिए अंधे हो सकते हैं।
कैसे पहुंचें लाटू देवता मंदिर
अगर आप दिल्ली से सफर करने जा रहे हैं, तो चमोली तक की दूरी लगभग 465 किलोमीटर की है। ऋषिकेश होते हुए आप बस के जरिए चमोली तक पहुंच सकते हैं। वहीं हवाई यात्रा करने के लिए दिल्ली से पंतनगर हवाई अड्डे तक यात्रा करने के बाद बस या टैक्सी की मदद से चमोली तक पहुंचा जा सकता है। अगर रेल यात्रा की बात करें तो हरिद्वार या ऋषिकेश रेलवे स्टेशन तक जाने के बाद बस के जरिए आगे की यात्रा करनी पड़ेगी। चमोली से 27 किलोमीटर की दूरी पर लाटू देवता का मंदिर है। यहां स्थानीय वाहनों के जरिए सुगमता से मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।
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Web Title temple of latu devta located in chamoli district of uttarakhand
(Religious Places from The Himalayan Diary)