कोटाबाग के मां टीटेश्वरी मंदिर पर प्रकृति ने अपने हाथों से उकेरे हैं मां दुर्गा के नौ रूप

Titeshwari Temple

अगर आप एक ही जगह पर देवी के नौ रूपों के दर्शन करना चाहते हो और नौ रूप भी ऐसे, जिन्हें प्रकृति ने खुद अपने हाथों से बेहद कठोर चट्टान पर गढ़ा हो, तो आपको उत्तराखंड के प्रसिद्ध मां टीटेश्वरी मंदिर (Titeshwari Temple) जरूर आना चाहिए। उत्तराखंड के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल नैनीताल से लगभग 56 किलोमीटर दूर कोटाबाग ब्लॉक में मां टीटेश्वरी का पौराणिक मंदिर है। कुमाऊं के इतिहास में मां टीटेश्वरी मंदिर का जिक्र मिलता है। यहां पर एक चट्टान में नौ परतों में मां की अलग-अलग रूपों में आकृतियां हैं। साथ ही यहां भगवान हनुमान और शेर के मुंह भी उभरे हैं। मां टीटेश्वरी मंदिर इस क्षेत्र की आस्था का केंद्र है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि यहां आने से हर मनोकामना पूरी होती है।

मंदिर को लेकर मान्यता है कि हजारों साल पहले कोटाबाग के सुनौला गांव में रहने वाले एक ब्राह्मण के सपने में माता ने दर्शन दिए। माता ने ब्राह्मण को पूजा-अर्चना के लिए टीट बुलाया। ब्राह्मण सुबह उठकर जंगल चला गया। करीब सात किलोमीटर चलने के बाद ब्राह्मण थक गया और एक चट्टान के नीचे बैठ गया। इस दौरान ब्राह्मण की नजर अचानक चट्टान के ऊपर पत्थरों पर पड़ी तो उसे चट्टान में शेर की प्रतिमा और मां की अलग-अलग रूपों में आकृतियां उभरी हुई दिखीं। तभी से यहां पर माता की पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

सुनौला ब्राह्मणों का गांव है। यहां के ब्राह्मण बारी-बारी से मां टीटेश्वरी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मान्यता है कि पूजा करने के बाद माता खुश होकर ब्राह्मण को एक सोने का सिक्का देती थी। सोने का सिक्का एक गुफा से गिरता था। एक दिन किसी ब्राहमण के मन में लालच आ गया और उसने गुफा में एक लकड़ी डाल दी ताकि सारे सिक्के उसे मिल जाए। कहा जाता है कि ब्राहमण के लालच के कारण गुफा से सिक्के गिरना बंद हो गए। टीटेश्वरी मंदिर पहुंचने के लिए घने जंगल के बीच से गुजरना पड़ता है। यह रास्ता काफी रोमांचकारी है। मंदिर से करीब 50 मीटर दूरी में एक स्रोत है। स्रोत के पानी से ही माता का भोग और प्रसाद तैयार होता है। मंदिर की चट्टान के ठीक ऊपर बुग्याल है, जिसे टीट खेत भी कहते हैं। बुग्याल से नैनीताल जिले के आसपास के सभी गांवों के अलावा कालाढूंगी, कोटाबाग, रामनगर, गूलरभोज और बाजपुर का खूबसूरत नजारा दिखता है।

कैसे पहुंचें Titeshwari Temple

मंदिर तक पहुंचने के लिए कोटाबाग से छह किलोमीटर की पैदल चढ़ाई करना पड़ती है। श्रद्धालु सड़क मार्ग द्वारा कोटाबाग तक पहुंच सकते हैं। रामनगर, हल्द्वानी, नैनीताल, बाजपुर, काशीपुर, रुद्रपुर सहित कुमाऊं और उत्तर भारत के अन्य बड़े शहरों से कोटाबाग के लिए वाहन सेवा उपलब्ध है। कोटाबाग से निकटतम हवाई अड्डा 66 किलोमीटर दूर पंतनगर में है। कोटाबाग से नजदीकी रेलवे स्टेशन 37 किलोमीटर दूर काठगोदाम में है, जो रेल मार्ग द्वारा दिल्ली, लखनऊ, देहरादून, कोलकाता जैसे बड़े शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। कोटाबाग का मौसम वर्षभर खुशनुमा बना रहता है। साल के किसी भी महीने यहां आ सकते हैं।

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Web Title nature-has-carved-nine-forms-of-goddess-at-maa-titeshwari-temple

(Religious Places from The Himalayan Diary)

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