हरिद्वार में है प्रमुख शक्तिपीठ माया देवी मंदिर, होती हैं सारी मनोकामनाएं पूरी

Maya Devi Temple

धर्मनगरी हरिद्वार में लोकप्रिय धार्मिक स्थल माया देवी मंदिर (Maya Devi Temple Haridwar) हिंदू धर्म की आस्था के प्रतीक 51 शक्तिपीठों में सबसे प्रमुख है। शास्त्रों के अनुसार यह वही स्थान है जहां पर माता सती के मृत शरीर की नाभि गिरी थी, इसलिए इस स्थान को ब्रह्मांड का केंद्र भी माना जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार इस मंदिर का निर्माण 11वीं शताब्दी में करवाया गया था। मान्यता है कि जो भी भक्त माता के मंदिर आकर माथा टेकता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त यहां प्रसाद के रूप में माता को नारियल, फल, फूलों की माला और अगरबत्ती अर्पित करते हैं। इस मंदिर में धार्मिक अनुष्ठान के साथ ही तंत्र साधना भी की जाती है।

माया देवी मंदिर में माता की मूर्ति के बायें हाथ पर देवी काली और दायें हाथ पर देवी कामाख्या की मूर्ति है। माया देवी मंदिर के साथ ही यहां भैरव बाबा का मंदिर भी है। लोगों का मानना है कि मां की पूजा तब तक पूरी नहीं मानी जाती, जब तक भक्त भैरव बाबा का दर्शन पूजन कर उनकी आराधना नहीं कर लेते। माया देवी मंदिर के अलावा हरिद्वार में दो अन्य शक्तिपीठ चण्डी देवी और मनसा देवी हैं। ये तीनों मंदिर मिल कर त्रिभुज की स्थिति की रचना करते हैं। माया देवी के मंदिर में हर साल लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं।

माया देवी मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। इन सभी शक्तिपीठों के उत्पत्ति की कथा एक ही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के ससुर दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन उन्होंने यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को नहीं बुलाया। दरअसल दक्ष भगवान शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। जब माता सती को इसके बारे में पता चला तो वह बिना बुलाए ही यज्ञ में चली गईं। वहां भगवान शिव का काफी अपमान किया गया। इससे दुखी होकर माता सती हवन कुंड में कूद गईं। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो वह माता सती के शरीर को हवन कुंड से निकालकर तांडव करने लगे। इससे सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया। कहते हैं जो अंग जहां गिरा वह शक्तिपीठ बन गया। मान्यता है कि जहां माया देवी का धाम है, वहां माता सती की नाभि गिरी थी।

कैसे पहुंचें Maya Devi Temple

यह पवित्र धार्मिक स्थल हरिद्वार रेलवे स्टेशन से महज दो किलोमीटर की दूरी पर है। यह दूरी पैदल या ऑटो रिक्शा व टैक्सी की मदद से तय की जा सकती है। हरिद्वार रेल और सड़क मार्ग द्वारा अच्छी तरह से देश के अन्य प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। हरिद्वार का रेलवे स्टेशन सीधे दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, देहरादून, जयपुर, अहमदाबाद, पटना, गया, वाराणसी, भुवनेश्वर, पुरी और कोच्चि जैसे शहरों से जुड़ा हुआ है। सड़क मार्ग द्वारा भी दिल्ली, हरियाणा, यूपी, पंजाब और उत्तरखंड के अन्य हिस्सों से हरिद्वार आसानी से पहुंचा जा सकता है। हरिद्वार से निकटतम हवाई अड्डा 54 किलोमीटर दूर देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा है। पर्यटक मुंबई या दिल्ली से देहरादून की सीधी उड़ान ले सकते हैं। हरिद्वार से दिल्ली लगभग 225 किलोमीटर की दूरी पर है।

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Web Title shaktipeeth-maya-devi-temple-at-haridwar

(Religious Places from The Himalayan Diary)

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