ऋषिकेश के पास पहाड़ी पर बसा है मां कुंजापुरी देवी का प्रसिद्द शक्तिपीठ

Kunjapuri Devi Temple

उत्तराखंड के टिहरी जिले में हिंडोलाखाल नामक क्षेत्र में देवी को समर्पित मां कुंजापुरी मंदिर (Kunjapuri Devi Temple) है। इस धार्मिक स्थल को हिंदू धर्म के प्रसिद्ध 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। मां कुंजापुरी देवी का मंदिर हिंडोलाखाल से कुछ दूरी पर कुंजापुरी में पर्वत की चोटी पर स्थित है। पर्वत की चोटी से चारों ओर फैले प्रकृति के सुंदर नजारों के दर्शन होते हैं। मां कुंजापुरी देवी मंदिर गढ़वाल के सुंदर रमणीक स्थलों में से भी एक है। यहां उत्तराखंड के दूर दराज से भक्त पहुंचते हैं। कुंजापुरी मंदिर समुद्रतल की ऊंचाई से 1605 मीटर की ऊंचाई पर है। मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को तीन सौ आठ सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं।

मां कुंजापुरी देवी मंदिर भक्तों की अटूट आस्था का केंद्र है। मान्यता है कि यहां आने वाले सभी भक्तों की मनोकामना जरूर पूरी होती हैं। मंदिर के गर्भ गृह में कोई प्रतिमा नहीं, बल्कि एक गड्ढा है। माना जाता है कि यही वह स्थान है जहां माता सती का कुंजा गिरा था। यहीं पर पूजा की जाती है। मंदिर के कोने में देवी की एक छोटी प्रतिमा स्थापित है। मंदिर के परिसर में भगवान शिव की मूर्ति के साथ-साथ भैरों, महाकाली, नागराज और नरसिंह की मूर्तियां हैं। मंदिर में प्रतिदिन सुबह 6:30 और शाम 5 से 6:30 बजे तक आरती का आयोजन किया जाता है।

मां शक्ति के सभी पीठों के उत्पत्ति की कथा एक ही है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के ससुर दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया था, लेकिन उन्होंने यज्ञ में भगवान शिव और माता सती को नहीं बुलाया। दक्ष भगवान शिव को अपने बराबर का नहीं समझते थे। जब माता सती को इसके बारे में पता चला तो वह बिना बुलाए ही यज्ञ में जा पहुंचीं। वहां भगवान शिव का काफी अपमान किया गया। इससे दुखी होकर माता सती हवन कुंड में कूद गईं। जब भगवान शिव को इस बारे में पता चला तो वह माता सती के शरीर को हवन कुंड से निकालकर तांडव करने लगे। इससे सारे ब्रह्मांड में हाहाकार मच गया। भगवान विष्णु ने ब्रह्मांड को बचाने के लिए अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में बांट दिया। कहते हैं धरती पर जो अंग जहां गिरा वह शक्तिपीठ बन गया। मान्यता है कि जहां मां कुंजापुरी देवी का मंदिर स्थित है, वहां माता सती के कुंज गिरे जिस कारण इसका नाम कुंजापुरी पड़ा।

कैसे पहुंचें Kunjapuri Devi Temple

कुंजापुरी मंदिर जाने के लिए श्रद्धालु बस की मदद से ऋषिकेश से टिहरी राजमार्ग पर लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर हिंडोलाखाल बाजार तक पहुंच सकते हैं। हिंडोलाखाल बाजार से मां कुंजापुरी देवी के मंदिर तक का सफर पैदल या छोटे वाहन की मदद से तय किया जा सकता है। कुंजापुरी से नजदीकी रेलवे स्टेशन 31 किलोमीटर दूर ऋषिकेश में स्थित है जबकि नजदीकी हवाई अड्डा 42 किलोमीटर दूर देहरादून में स्थित है।

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Web Title history-of-famous-shakti-peeth-maa-kunjapuri-devi-temple

(Religious Places from The Himalayan Diary)

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